युवा क्रांतिकारी बसंत कुमार विश्वास का इतिहास ,बसंत कुमार विश्वास का जन्म,क्रांति की भावना,बसंत विश्वास का बलिदान 

युवा क्रांतिकारी बसंत कुमार विश्वास का इतिहास 

बसंत कुमार विश्वास युगांतर समूह में शामिल एक भारतीय स्वतंत्रता समर्थक कार्यकर्ता थे जिनके बारे में माना जाता है कि इन्होंने दिसंबर 1912 में वायसराय की परेड पर बमबारी की थी जिसे दिल्ली के नाम से भी जाना जाता है इन्हें युगांतर के नेताओं अमरेंद्र नाथ चट्टोपाध्याय और रासबिहारी बोस द्वारा क्रांतिकारी आंदोलन की शुरुआत की गई थी  कुमार विश्वास का इतिहास 

बसंत कुमार विश्वास का जन्म 

युवा क्रांतिकारी बसंत कुमार विश्वास ने महज 20 वर्ष की अल्पायु में देश के लिए अपनी जान निछावर कर दी थी अंग्रेजी हुकूमत के पसीने छुड़ाने वाले विश्वास ने अपनी जान हथेली पर रखकर वायसराय लॉर्ड होर्डिंग पर बम फेंका था 6 फरवरी 1895 को पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में जन्मे विश्वास बंगाल के प्रमुख क्रांतिकारी संगठन “युगांतर” के सदस्य थे

इनके पिता जी का नाम “मोतीलाल” और इनकी माता जी का नाम “कुंज बाला” विश्वास था यह स्वतंत्रता सेनानी दिगंबर विश्वास के परिवार से ताल्लुक रखते हैं जो इंडिगो विद्रोह के एक सक्रिय नेता और स्वतंत्रता सेनानी मन्मथ नाथ विश्वास हैं इन्होंने अपने गांव में अपनी स्कूली शिक्षा शुरू की और फिर वे अपने चचेरे भाई मन्मथ नाथ विश्वास के साथ पास के गांव माधवपुर में एम आई स्कूल चले गए हाई स्कूल की स्थापना समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी गगन चंद्र विश्वास ने की थी 1906में बसंत को मुरागाचा स्कूल ले जाया गया

खिरोध चंद्र गांगुली मुरागाचा स्कूल में प्रिंसिपल थे उनके मार्गदर्शन में बसंत ने स्वतंत्रता संग्राम की अपनी यात्रा शुरू की थी बाद में उन्होंने रासबिहारी बोस ने भर्ती किया और हथियारों और बमों में प्रशिक्षित किया रासबिहारी बोस इन्हें “विजय दास’ कहते थे युवा क्रांतिकारी बसंत कुमार विश्वास का इतिहास 

क्रांति की भावना

वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की हत्या की योजना क्रांतिकारी रासबिहारी बोस ने बनाई थी और बम फेंकने वालों में बसंत विश्वास और मन्मथ विश्वास प्रमुख थे बसंत विश्वास ने महिला का वेश धारण किया और 23 दिसंबर 1912 को जब कोलकाता से दिल्ली राजधानी परिवर्तन के समय वायसराय लॉर्ड हार्डिंग समारोह पूर्वक दिल्ली में प्रवेश कर रहा था

तब चांदनी चौक में उसके जुलूस पर बम फेंका, पर वह बच गया इस कांड में 26 फरवरी 1914 को बसंत को पुलिस ने पकड़ लिया बसंत सहित अन्य क्रांतिकारियों पर 23 मई 1914 को दिल्ली षड्यंत्र केस चलाया गया युवा क्रांतिकारी बसंत कुमार विश्वास का इतिहास 

बसंत विश्वास का बलिदान 

बसंत को आजीवन कारावास की सजा हुई किंतु शातिर अंग्रेज सरकार तो उन्हें फांसी देना चाहती थी इसलिए उसने लाहौर हाई कोर्ट में अपील की और बसंत विश्वास को बालमुकुंद, अवध बिहारी व मास्टर अमीरचंद के साथ फांसी की सजा दी गई जबकि रासबिहारी बोस गिरफ्तारी से बचते हुए जापान पहुंच गए

11 मई 1915 को पंजाब की अंबाला सेंट्रल जेल में इस युवा स्वतंत्रता सेनानी को मात्र 20 वर्ष की आयु में फांसी दे दी गई स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अत्यधिक छोटी उम्र में शहीद होने वालों में से बसंत विश्वास भी एक हैं जापान के टोक्यो के एक पार्क में रासबिहारी बसु द्वारा स्थापित बसंत विश्वास की एक मूर्ति है एक अन्य मूर्ति रविंद्र भवन, कृष्ण नगर, नादिया के सामने स्थित है, उनकी याद में सिविल लाइन, दिल्ली के एक स्कूल का नाम शहीद बसंत कुमार विश्वास सर्वोदय विद्यालय रखा गया है

लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय कर दिया गया शंखेश्वर दत्ता के अनुरोध पर लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने भारतीय संसद के संग्रहालय में बसंत कुमार की एक तस्वीर स्थापित की है

युवा क्रांतिकारी बसंत कुमार विश्वास का इतिहास