सतीश गुजराल का जीवन परिचय,सतीश गुजराल का जन्म,सतीश गुजराल की कला का विषय ,सतीश गुजराल की शिक्षण संस्थाएं,सतीश गुजराल की मृत्यु
सतीश गुजराल का जीवन परिचय
सतीश गुजराल चित्रकार मूर्तिकार, ग्राफिक डिजाइनर, लेखक, वास्तुकार, भित्ति चित्र के लिए प्रसिद्ध रहे थे लाहौर के मेयो स्कूल ऑफ आर्ट से इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी सतीश गुजराल 1961 से 1970 तक म्यूरल और चित्रण दोनों कार्य करते रहे परंतु इसके बाद कलात्मक अभिव्यक्ति को मात्र म्यूरल तक ही सीमित कर लिया म्यूरल में लोक प्रतीकों के साथ प्रसिद्ध भारतीय रंग एवं कल्पना का समावेश है सतीश गुजराल का जीवन परिचय
सतीश गुजराल का जन्म
सतीश गुजराल का जन्म 25 दिसंबर 1925 को झेलम में हुआ था जो कि अब पाकिस्तान में है सतीश गुजराल के पिताजी का नाम “अवतार नरेन गुजराल” था और इनकी माता जी का नाम पुष्पा गुजराल था सतीश गुजराल बहुमुखी प्रतिभा के धनी एक प्रसिद्ध भारतीय चित्रकार मूर्तिकार लेखक और वास्तुकार हैं वह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के छोटे भाई हैं
भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सन 1999 में उन्हें पदम विभूषण से सम्मानित किया था जब सतीश मात्र 8 साल के थे तब पैर फिसलने के कारण इनकी टांग टूट गई और सिर में भी काफी चोट आई थी जिसके कारण इन्हें कम सुनाई देने लगा था और लोग इन्हें लंगड़ा, बहरा और गूंगा समझने लगे थे हाल ही में सतीश गुजराल ने अपनी आत्मकथा लिखकर लेखक के रूप में अपनी नई पहचान बनाई थी
इन्होंने लाहौर स्थित मेयो स्कूल ऑफ आर्ट में 5 वर्षों तक अन्य विषयों के साथ साथ मृतिका शिल्प और ग्राफिक डिजाइनिंग का अध्ययन किया था इसके बाद सन् 1944 में वे मुंबई चले गए जहां उन्होंने प्रसिद्ध सर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया पर बीमारी के कारण सन 1947 में उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी
इसके बाद 1952 में उन्हें एक छात्रवृत्ति मिली जिसके बाद उन्होंने मेक्सिको के पलासियो नेशनल डि बेलास आर्ट में अध्ययन किया यहां पर उन्हें डिएगो रिवेरा जैसे प्रसिद्ध कलाकारों के अंतर्गत कार्य करने और सीखने का अवसर मिला इसके बाद उन्होंने यू.के. के इंपीरियल सर्विस कॉलेज विंडसर में भी कला का विधिवत अध्ययन किया था सतीश गुजराल का जीवन परिचय
सतीश गुजराल की कला का विषय
भारत के विभाजन का असर युवा सतीश के मन पर बहुत पड़ा और शरणार्थियों के मन की व्यथा उनके कला में व्यक्त होती है सन 1952 से लेकर सन 1974 तक गुजराल ने अपनी मूर्तियों, चित्रों और दूसरी कलाओं को दुनियाभर के शहरों जैसे न्यूयॉर्क, नई दिल्ली, मोंट्रियल, बर्लिन और टोक्यो आदि में प्रदर्शित किया था सतीश गुजराल एक वास्तुकार भी रह चुके थे उन्होंने नई दिल्ली स्थित बेल्जियम के दूतावास का भी डिजाइन बनाया
जिसे इंटरनेशनल फॉर्म ऑफ आर्किटेक्ट ने 20वीं सदी की दुनिया की सबसे बेहतरीन इमारतों में शामिल किया था उन्होंने दुनिया भर के अनेक होटलों, विश्वविद्यालयो, आवासीय भवनों, उद्योग स्थलों और धार्मिक इमारतों की शानदार वास्तु परियोजना तैयार की थी उन्होंने अपने रचनात्मक जीवन में अमूर्त चित्रण किए हैं और चटकीले रंगों के सुंदर संयोजन बनाए हैं उन्होंने अपनी कला में जीव जंतुओं और पक्षियों को भी सहज स्थान दिया है
उन्होंने अपनी कृतियों के लिए प्रेरणा इतिहास लोक कथाओं, पुराणों, प्राचीन भारतीय संस्कृति और विविध धर्मों के प्रसंगों से लिया और अपने चित्रों में संजोया है इनकी कृतियां हीरशरण कलेक्शन वाशिंगटन डी.सी. हार्टफोर्ड म्यूजियम तथा द म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट न्यूयॉर्क जैसे अनेक प्रसिद्ध संग्रहालय में प्रदर्शित की जा चुकी है सतीश गुजराल का जीवन परिचय
सतीश गुजराल की शिक्षण संस्थाएं
सतीश गुजराल के अनेक शिक्षण संस्थान हैं जैसे मेयो स्कूल ऑफ आर्ट लाहौर, जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट मुंबई, पलासियो नेशनल डी बेलास आर्ट मैक्सिको एवं इंपीरियल सर्विस कॉलेज विंडसर यू.के.सतीश गुजराल को 1999में पदम विभूषण, तीन बार कला का राष्ट्रीय पुरस्कार, दो बार चित्रकला और एक बार मूर्तिकला के लिए सम्मानित किया गया था सतीश गुजराल का जीवन परिचय
सतीश गुजराल का व्यक्तित्व
सतीश गुजराल का विवाह किरण गुजराल के साथ हुआ और दोनों भारत की राजधानी दिल्ली में रहते हैं उनके पुत्र मोहित गुजराल एक प्रसिद्ध वास्तुकार है और भूतपूर्व मॉडल फिरोज गुजराल से विवाहित हैं उनकी बड़ी बेटी अल्पना ज्वेलरी डिजाइनर और दूसरी बेटी रशील एक इंटीरियर डिज़ाइनर है इनके बड़े भाई इंद्र कुमार गुजराल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे इनके जीवन और काम पर कई वृत्त चित्र बन चुके हैं
और एक फिल्म भी बन रही है फरवरी 2012 में ‘ए ब्रश विद लाइफ’ नाम का 24 मिनट का एक वृत्तचित्र जारी किया गया यह वृत्तचित्र उनकी इसी नाम की एक पुस्तक पर आधारित है सतीश ने अपनी आत्मकथा भी लिखी है इसके अतिरिक्त इनके कार्य और जीवन पर तीन और पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है
विभिन्न कलाओं में अपनी नैसर्गिकता के लिए इन्हें कई राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है सतीश गुजराल को बेल्जियम के राजा का ऑर्डर ऑफ कर ऑन सम्मान भी प्राप्त है सन 1989 में इन्हें इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ आर्किटेक्चर तथा दिल्ली कला परिषद द्वारा सम्मानित किया गया था
नई दिल्ली स्थित बेल्जियम दूतावास के भवन की परियोजना के लिए वस्तुरचना के क्षेत्र में इन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली है इस इमारत को इंटरनेशनल फॉर्म ऑफ आर्किटेक्ट द्वारा बीसवीं सदी की 1000 सर्वश्रेष्ठ इमारतों की सूची में स्थान दिया गया है दिल्ली व पंजाब की राज्य सरकारों ने भी इन्हें इनके कार्यों और उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया है
सतीश गुजराल की मृत्यु
26 मार्च 2020 को सतीश गुजराल की मृत्यु नई दिल्ली में हुई थी
सतीश गुजराल का जीवन परिचय