राव राजा कल्याण सिंह का इतिहास, राव राजा कल्याण सिंह की गिरफ्तारी, राव राजा कल्याण सिंह की मृत्यु

राव राजा कल्याण सिंह का इतिहास 

सीकर के राव राजा माधव सिंह जी के निधन के बाद 1 जुलाई 1922 को उनके दत्तक पुत्र कल्याण सिंह जी सीकर की गद्दी पर बैठे राव राजा कल्याण सिंह जी का जन्म 20 जून 1886 को दीपपुरा में हुआ था राजगद्दी पर बैठने के बाद राव राजा कल्याण सिंह ने अपने शासन प्रबंध में जन कल्याणकारी कार्यों में विशेष ध्यान दिया इन्होंने प्रशासन व्यवस्था के लिए अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग विभाग कायम किए

राजा कल्याण सिंह ने गरीबी और बेकारी मिटाने के लिए आर्थिक सुधार किए स्थान स्थान पर लघु उद्योग धंधे खोलने का प्रयास किया गया हाथ कर का रेशम के कीड़े पालना, सड़कों का निर्माण, भू ग्रह की खोज कर, धातु आदि का पता लगाना, भवन निर्माण, यातायात के साधनों का विकास, सर्व सुलभ न्याय के लिए तहसीलों व न्यायालयो की स्थापना, शिक्षा के लिए विद्यालय, प्रजा के इलाज के लिए अस्पताल खोलना और जन रक्षा के लिए पुलिस विभाग की राजा कल्याण सिंह जी ने स्थापना की थी इसके अतिरिक्त इन्होंने किसानों की भलाई के लिए भूमि सुधार किया,

भूमि कर के रूप में ठेकेदारी प्रथा को समाप्त कर एक निश्चित लगान तय  किया गया और प्रत्येक कस्बे में कानून विशेषज्ञ तहसीलदार, गिरदावर, पटवारी आदि की नियुक्ति की गई इन्होंने पैमाइश विभाग की भी स्थापना की थी इन्होंने 7 से ₹8लाख राज्य की सारी भूमि पैमाइश की थी और एक निश्चित अवधि को ध्यान में रखकर किसानों को भूमि का मालिकाना हक प्रदान किया गया इन्होंने भवन निर्माण के साथ पुरातत्व महत्व की सामग्री का भी संग्रह करवाया गया ग्राम पंचायत और नगरपालिका के निर्माण का कार्य किया गया

इसके अतिरिक्त अलग से स्वास्थ्य विभाग की स्थापना भी की आम जनता की चिकित्सा के लिए सीकर में आधुनिक सुविधाओं से युक्त श्री कल्याण अस्पताल का निर्माण करवाया गया पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी राव राजा कल्याण सिंह ने कार्य करवाए राव राजा ने खुद कार्य करवाए और इस तरह की सेवा कार्य करवाने के लिए धनाढ्य सेठों को भी प्रोत्साहित किया गया शिक्षा के क्षेत्र में भी राव राजा कल्याण सिंह ने स्कूल खुलवाए थे और लोगों को भी इस ओर ध्यान दिलाने का प्रयास किया

जब राव राजा कल्याण सिंह अपने प्रशासन की व्यवस्था सुधारने और जनकल्याण के कार्यों में लगे हुए थे तब जयपुर के महाराज ने सीकर और अन्य शासकों के अधिकार छीनने का कार्य शुरू किया इसके बाद जयपुर के राजा ने सीकर के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप किया | राव राजा कल्याण सिंह का इतिहास |

राव राजा कल्याण सिंह की गिरफ्तारी 

जयपुर के राजा मानसिंह राव राजा कल्याण सिंह के पुत्र हरदयाल सिंह को अपने साथ विदेश ले जाना चाहते थे परंतु राजा राव कल्याण सिंह को यह बात मंजूर नहीं थी इसी के चलते जयपुर और सीकर के बीच जंग छिड़ जाती है वर्ष 1933 में कल्याण सिंह के बेटे राजकुमार हरदयाल सिंह की सगाई काठियावाड़ की राजकुमारी के साथ हुई थी लेकिन सगाई इस शर्त पर हुई थी कि राजकुमार विवाह से पहले विदेश नहीं जाएंगे

11 फरवरी 1938 को जब कल्याण सिंह को पता चला कि जयपुर के सवाई मानसिंह उनके बेटे हरदयाल सिंह को अपने साथ इंग्लैंड ले जाएंगे तब राजा कल्याण सिंह इस बात से सहमत नहीं हुए और इसकी अनुमति नहीं दी इसके बाद राजा मानसिंह राव राजा कल्याण सिंह को गिरफ्तार करने के लिए अपनी सेना को भेज देता है सीकर में पहुंचने पर उनकी सेना राव राजा कल्याण सिंह के महल के सामने अपना डेरा डाल लेती है जब इस बात का पता प्रजा को चलता है तो वह राव राजा कल्याण सिंह की मदद के लिए दीवार बनकर सामने खड़े हो जाते हैं

इसके बाद युद्ध की स्थिति बन जाती है और उनकी रक्षा के लिए प्रमुख जागीरदारों सहित लगभग 30 हजार राजपूत भी सीकर पहुंचे इसके बाद सीकर शहर के दरवाजे बंद कर दिए गए और हड़ताल की घोषणा कर दी गई फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़ और रामगढ़ में भी इस हड़ताल का अनुसरण किया गया जयपुर प्रशासन किसी भी कीमत पर कल्याण सिंह को जयपुर बुलाना चाहता था किंतु राव राजा कल्याण सिंह जाना नहीं चाहते थे कल्याण सिंह पर अत्याचार के विरोध में सीकर के लोगों ने एक कमेटी बनाते हुए सीकर में हड़ताल की घोषणा कर दी

10 मई को महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी भी रानी साहिबा से मिलने के लिए सीकर आई थी 5 जुलाई को शिरो माधोपुर तहसील के ग्राम महरौली के छह शास्त्र राजपूत मदद के लिए सीकर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे जयपुर पुलिस ने इन लोगों को हत्या रख देने तथा लौटने के लिए कहा गया इंकार करने पर जयपुर पुलिस ने गोलीबारी शुरू कर दी इसमें 17 से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए थे यह हत्याकांड 19 जुलाई 1938 को हुआ था इसके बाद जमुनालाल बजाज और नवलगढ़ के मदन सिंह की मध्यस्थता के बाद दोनों पक्षों में समझौता हुआ राज परिवार के लोगों ने सीकर की चारदीवारी के प्रवेश द्वार खोल दिए और 23 जुलाई को सवाई मानसिंह जयपुर से हरदयाल सिंह को लेकर सीकर पहुंचे थे | राव राजा कल्याण सिंह का इतिहास |

राव राजा कल्याण सिंह की मृत्यु 

राव राजा कल्याण सिंह लोकप्रिय राजा थे इसके साथ में धार्मिक प्रवृत्ति के शासक थे वह कल्याण जी के भगत थे वह प्रति दिन निश्चित समय पर कल्याण जी के मंदिर पहुंचते थे ऐसे धर्मशील व कर्तव्य परायण राव राजा कल्याण सिंह का नवंबर 1967 विक्रम  में देहांत हो गया इनके बाद विक्रम देव सिंह सीकर की संपत्ति के स्वामी बने क्योंकि इनके पुत्र हरदयाल की इनके जीवन काल में ही मृत्यु हो गई थी जिसके बाद इन्होंने विक्रम देव सिंह को गोद लिया था 

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