राम वन जी सुतार का जीवन परिचय ,राम वनजी सुतार का जन्म ,रामवन जी सुतार की प्रतिभा ,राम वनजी सुतार का स्टूडियो ,राम वनजी सुतार को प्राप्त पुरस्कार

राम वन जी सुतार का जीवन परिचय

राम वन जी सुतार बचपन से ही प्रतिभाशाली रहे थे बचपन में इन्होंने साबुन के ऊपर है एक बिच्छू का चित्र बनाया था जो कि इन्हें भी काफी अच्छा लगा था इसके बाद इन्होंने मूर्ति शिल्प धातु में भी काम किया था सर्वप्रथम इनकी कला को श्री रामकृष्ण जोशी ने पहचाना था

और इन्हें आगामी अध्ययन करने की प्रेरणा दी थी श्री रामकृष्ण जोशी इन के गुरु थे श्री राम कृष्ण जोशी के कहने पर उन्होंने सर्वप्रथम गांधीजी का चित्र बनाया था यह प्रतिमा इन्होंने 1947 में बनाई थी इसके लिए इन्हें ₹100 इनाम के भी मिले थे इसके बाद धीरे-धीरे इन्होंने गांधीजी की बहुत ही प्रतिमाएं बनाई गांधी जी की मूर्ति के लिए यह काफी विख्यात रहे हैं | राम वन जी सुतार का जीवन परिचय 

राम वनजी सुतार का जन्म 

रामधन जी सुथार का जन्म 19 फरवरी 1925 को गुंदूर गांव मे हुआ था जो कि महाराष्ट्र में है इनके पिता जी का नाम “वनजी हंसराज” था यह विश्वकर्मा समाज से संबंध रखते थे और एक बढ़ई का काम करते थे और इनकी माता जी का नाम सीताबाई था इनका विवाह 1952 में प्रमिला के साथ हुआ था इनके पुत्र अनिल सुतार स्वयं एक आर्किटेक्चर हैं यह भी मूर्तिकार के रूप में काफी जाने जाते हैं और इन्हीं के साथ में कार्य करते हैं

इनके गुरु कृष्ण जोशी ने इन्हें आकर्षित किया और ड्राइंग और पेंटिंग की ओर प्रेरित किया था रामवन जी सुथार ने सर जेजे स्कूल मुंबई से विवि मंजे कर के सानिध्य में रहकर 1952 में अपना डिप्लोमा लिया था जहां पर इन्हें मूर्तिकला के लिए “मेयो को स्वर्ण पदक” प्राप्त हुआ था 1954 से 1958 तक एलोरा और अजंता की गुफाओं में मूर्तियों के जीर्णोद्धार कार्य के लिए एक मॉड्यूलर के रूप में पुरातत्व विभाग में कार्य किया था

इसके बाद 1959 में सूचना और प्रसारण मंत्रालय नई दिल्ली में तकनीकी सहायक के रूप में शामिल हुए 1959 में स्वतंत्र कलाकार बनने के लिए निश्चय किया तथा नौकरी का परित्याग कर दिया था इसके बाद सन् 1972 में कृषि मेला हुआ था दिल्ली में उसके मुख्य द्वार पर इन्होंने दो मूर्तियों का निर्माण किया था श्री M.S. रंधावा जोकि पंजाब से संबंध रखते थे वह भी एक चित्रकार थे

उन्हें भी चित्रकारी की अच्छी समझ थी उन्होंने रामवन जी सुतार का कार्य देखा और इन्हें प्रोत्साहन किया और देवी गंगा और यमुना की प्रतिमा बनाने का आग्रह किया इसके बाद इन्होंने देवी गंगा और यमुना की लगभग 20 फीट ऊंची प्रतिमाओं का निर्माण किया जो रोज गार्डन लुधियाना और मंडी गोविंदगढ़ पंजाब में स्थित है इसके बाद इन्होंने गोविंद बल्लभ पंत की 10 फुट की इंची कांस्य प्रतिमा का निर्माण किया जो आईपेक्स भवन के सामने रायसीना रोड और रफी मार्ग के चौराहे पर नई दिल्ली में स्थित है राम वन जी सुतार का जीवन परिचय 

रामवन जी सुतार की प्रतिभा 

यदि इनके उल्लेखनीय कार्य की बात करें तो मध्य प्रदेश में स्थित है गांधी सागर बांध जो है उस पर इन्होंने 45 फिट लंबा चंबल देवी की प्रतिमा स्मारक का निर्माण किया था चंबल देवी की यह प्रतिमा इन्होंने एक ही चट्टान से बनाई थी जिसका 1961 में अनावरण किया गया था चंबल देवी की इस प्रतिभा के आसपास दो बच्चों को दर्शाया गया है जो कि राजस्थान और मध्य प्रदेश के भाईचारे का प्रतिनिधित्व करते हैं पंडित जवाहरलाल नेहरू इनके कार्य से काफी प्रभावित हुए थे जिस कार्य के लिए इन्हें जाना जाता था वह यह था कि इन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा बनाई थी

जिसके कारण यह प्रसिद्ध हुए थे इन्होंने बचपन में गांधीजी को देखा भी था उस समय विदेशी कपड़ों का बहिष्कार हो रहा था उस समय उनकी मुलाकात गांधी जी से हुई थी गांधी जी से यह काफी प्रभावित रहे थे इनके द्वारा निर्मित ध्यान मग्न महात्मा गांधी जी की प्रतिमा भारतीय संसद ‘नई दिल्ली’ तथा गांधीनगर ‘गुजरात’ में स्थित है इसके बाद सन् 1969 में गांधी शताब्दी समारोह के अवसर पर इनके द्वारा निर्मित की गई मूर्तियों को फ्रांस, इटली, अचेटीना, बारबाडोस, रूस, इंग्लैंड ,मलेशिया और कारकाश में स्थापित की गई थी

इनके द्वारा बनाई गई 18 फीट की ऊंची महात्मा गांधी की प्रतिमा नई दिल्ली संसद में स्थापित है इनके द्वारा बनाई गई 16 प्रतिमाएं भारतीय संसद में स्थापित की जा चुकी है जिसमें सरदार पटेल की 18 फुट की ऊंची प्रतिमा भी शामिल है इनके द्वारा बनाई गई गांधी जी की मूर्तियां लगभग 150 स्थापित की जा चुकी है

इसके बाद 1973 में इन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा मोरसिस में की थी जहां पर इन्होंने मूंगा पर लघु चित्रों पर नक्काशी की जो कि वर्तमान में प्रदर्शनी के रूप में संग्रहित है इन्होंने कई पत्तों की छाल पर लघु चित्र बनाए थे वर्षों से इन्होंने नदी के पत्थरों, पिस्ता, मूंगफली के खोल, विभिन्न पतियों, और बीज के साथ प्रयोग किया और उनसे चेहरे बनाने में कामयाब रहे राम वन जी सुतार का जीवन परिचय 

राम वनजी सुतार का स्टूडियो 

इनके बेटे अनिल सुतार ने स्कूल आफ प्लैनिंग एंड आर्किटेक्चर नई दिल्ली से बैचलर और वाशिंगटन विश्वविद्यालय सेंट लुइस मिसौरी यूएसए आर्किटेक्चर एंड अर्बन डिजाइन में मास्टर डिग्री प्राप्त की है सुतार जी अब भारत की सबसे बड़ी फाउंड्री और स्टूडियो सर्फेस के मालिक हैं, जो उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद, गाजियाबाद में स्थित है इनका व्यक्तिगत स्टूडियो नोएडा में स्थित है

जो 2000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है 2004 में ध्यान मग्न महात्मा गांधी की 27 फुट की कांस्य प्रतिमा बेंगलुरु के विधान सौदा और विकास सौदा के बीच स्थापित की गई है इसके अलावा बेंगलुरु के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास नानप्रभु कैंप गोंडा की 108 फुट की ऊंची प्रतिमा भी सुतार जी द्वारा बनाई गई थी 1999 में सूरज कुंड बड़खल झील रोड पर आनंदवन मूर्तिकला गार्डन बनाया गया

जहां कई मूर्ति शिल्प देखे जा सकते हैं इनका एक और उल्लेखनीय कार्य है महाराजा रणजीत सिंह की 21 फीट ऊंची घुड़सवारी की मूर्ति है जो पंजाब के अमृतसर में स्थापित की गई थी इनका सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य “स्टेचू ऑफ यूनिटी” 182 मीटर ऊंची दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा है जो सरदार पटेल को समर्पित है यह भारत के गुजरात में बड़ोदरा के नर्मदा बांध के पास स्थित है

इस प्रतिमा को बनाने में लगभग 3 साल लगे थे इसके अलावा इनका एक और अन्य उल्लेखनीय कार्य है मुंबई में शिव स्मारक है जोकि छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा है जिसकी कुल ऊंचाई 212 मीटर है इस प्रतिमा का उद्घाटन 2016 में कर दिया गया था जो अभी निर्माणधीन है 24 दिसंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस प्रतिमा का शिलान्यास किया गया यह संभवत अब बनकर तैयार हो गई है

इसके अतिरिक्त नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2015 को मुंबई के इंदु मिल्स कंपाउंड में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर मेमोरियल के फाउंडेशन स्टोन की पट्टिका का अनावरण भी किया था इस प्रतिमा के मुख्य मूर्तिकार राम जी सुतार, वह वास्तुकार शशी प्रभु है राम वन जी सुतार का जीवन परिचय 

राम वनजी सुतार को प्राप्त पुरस्कार 

14 फरवरी 2017 को इनकी कलाकृतियों की ऑल इंडिया फाइन आर्ट एंड क्राफ्ट सोसायटी द्वारा रेट्रोस्पेक्टिव प्रदर्शनी लगाई गई थी इन्हें मुंबई आर्ट सोसायटी द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला था 23 मार्च 1999 में इन्हें राष्ट्रपति के. आर. नारायण द्वारा “पदम श्री” का पुरस्कार दिया गया था 12 अप्रैल 2016 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा इन्हें “पदम भूषण” पुरस्कार दिया गया था

राम वन जी सुतार का जीवन परिचय