राजेंद्रनाथ लाहिड़ी का जीवन परिचय
राजेंद्रनाथ लाहिड़ी का जीवन परिचय,राजेंद्र लाहिड़ी का जन्म ,काकोरी कांड ,राजेंद्र लाहिड़ी की मृत्यु , राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी जीवनी ,हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गये थे राजेंद्र
राजेंद्रनाथ लाहिड़ी का जीवन परिचय
आज हम आजादी के 75 वर्ष पूरे होने की खुशियां मना रहे हैं परंतु इस आजादी को पाने के लिए ना जाने कितने हजारों क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है देश के कोने-कोने से आजादी की हुंकार उठी थी. ना जाने कितनी शहादतो के बाद हमें ये आजादी मिली थी
कुछ आजादी के मतवालों की कहानियां तो हम मुंह जबानी जानते हैं वहीं कुछ इतिहास की किताबों में कहीं गुम हो गए हैं यह कड़वी सच्चाई है कि ऐसे बहुत से क्रांतिकारी हैं जिनका हम नाम तक नहीं जानते और वह सरकार की रिकॉर्ड बुक में स्याही के कुछ बूंद बनकर रह गए हैं उन्हीं गुमनाम हीरो में राजेंद्र लाहिड़ी भी शामिल है
राजेंद्र लाहिड़ी वे भारत के अमर शहीद प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे आजादी के आंदोलन को गति देने के लिए धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत के मद्देनजर शाहजहांपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजों का खजाना लूटने की योजना बनाई थी
योजना के अनुसार दल के प्रमुख सदस्य राजेंद्र नाथ लाहिड़ी ने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ के काकोरी रेलवे स्टेशन से छुट्टी ‘आठ डाउन’ सहारनपुर- लखनऊ पैसेंजर ट्रेन को चेन खींचकर रोका और क्रांतिकारी बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खां, चंद्रशेखर आजाद व अन्य सहयोगियों की मदद से सरकारी खजाना लूट लिया गया इसके बाद अंग्रेजी सरकार ने मुकदमा चलाकर राजेंद्र लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक खां आदि को फांसी की सजा सुनाई राजेंद्रनाथ लाहिड़ी का जीवन परिचय
राजेंद्र लाहिड़ी का जन्म
राजेंद्र लाहिड़ी का जन्म बंगाल के पाबना जिले के भड़का नामक गांव में हुआ था इनके पिता जी का नाम क्षिति मोहन शर्मा और माताजी का नाम बसंत कुमारी था बाद के समय में इनका परिवार 1909 में बंगाल से वाराणसी चला आया था राजेंद्र लाहिड़ी की शिक्षा दीक्षा वाराणसी से ही हुई थी राजेंद्र नाथ के जन्म के समय इनके पिताजी वह बड़े भाई बंगाल में चल रही अनुशीलन दल की गुप्त गतिविधियों में योगदान देने के आरोप में कारावास की सलाखों के पीछे कैद थे काकोरी कांड के दौरान राजेंद्र लाहिड़ी “काशी हिंदू विश्वविद्यालय” में इतिहास विषय में M.A प्रथम वर्ष के छात्र थे
जिस समय राजेंद्र लाहिड़ी M.A में पढ़ रहे थे तभी इनका संपर्क क्रांतिकारी सचिंद्र नाथ सान्याल से हुआ सान्याल बंगाल के क्रांतिकारी युगांतर दल से संबंधित थे वहां एक दूसरे दल अनुशीलन में वह काम करने लगे राजेंद्र नाथ इस संघ की प्रतिय समिति के सदस्य थे अन्य सदस्यों में रामप्रसाद बिस्मिल भी सम्मिलित थे काकोरी ट्रेन कांड में जिन क्रांतिकारियों ने प्रत्यक्ष भाग लिया उनमें राजेंद्र नाथ भी शामिल थे बाद में वे बम बनाने की शिक्षा प्राप्त करने और बंगाल के क्रांतिकारी दलों से संपर्क बढ़ाने के उद्देश्य से कोलकाता चले गए वहां दक्षिणेश्वर बम फैक्ट्री कांड में पकड़े गए और इस मामले में 10 वर्ष की सजा हुई राजेंद्रनाथ लाहिड़ी का जीवन परिचय
काकोरी कांड
राजेंद्र लाहिड़ी बलिदानी जत्थो की गुप्त बैठकों में बुलाए जाने लगे थे क्रांतिकारियों द्वारा चलाए जा रहे आजादी के आंदोलन को गति देने के लिए धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत के मद्देनजर शाहजहांपुर में एक गुप्त बैठक हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनाई इस योजना के अनुसार दल के ही प्रमुख सदस्य राजेंद्र नाथ लाहिड़ी ने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ के काकोरी रेलवे स्टेशन से छुट्टी 8 डाउन सहारनपुर लखनऊ पैसेंजर ट्रेन को चेन खींचकर रोका और क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खां, चंद्रशेखर आजाद व अन्य 6 सहयोगियों की मदद से समुचित ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया
इसके बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी पार्टी “हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन” के कुल 40 क्रांतिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां तथा ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई इस मुकदमे में 16 अन्य क्रांतिकारियों को कम से कम 4 वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम आजीवन कारावास तक का दंड दिया गया था
काकोरी कांड में लखनऊ की विशेष अदालत ने 6 अप्रैल 1927 को जलियांवाला बाग दिवस पर राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, रोशन सिंह तथा अशफाक उल्ला खां को एक साथ फांसी देने का निर्णय लेते हुए सजा सुनाई काकोरी कांड की विशेष अदालत आज के मुख्य डाकघर में लगाई गई थी काकोरी कांड में सलिप्तता साबित होने पर राजेंद्र लाहिड़ी को कोलकाता से लखनऊ लाया गया बेड़ियो में ही सारे अभी योगी आते जाते थे आते जाते सभी मिलकर गीत गाते थे
एक दिन अदालत से निकलते समय सभी क्रांतिकारी “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,गाने लगे इसके बाद सूबेदार बरवंड सिंह ने इन्हें चुप रहने को कहा लेकिन क्रांतिकारी सामूहिक गीत गाते रहे इसके बाद बरवंड सिंह ने सबसे आगे चल रहे राजेंद्र लाहिड़ी का गला पकड़ लिया राजेंद्र लाहिड़ी के एक भरपूर तमाचे और साथी क्रांतिकारियों की तन चुकी भुजाओं ने वरवंड सिंह के होश उड़ा दिए इसके बाद जज को बाहर आना पड़ा इसका अभियोग भी पुलिस ने चलाया, परंतु वापस लेना पड़ा राजेंद्रनाथ लाहिड़ी का जीवन परिचय
राजेंद्र लाहिड़ी की मृत्यु
राजेंद्र लाहिड़ी अध्ययन और व्यायाम में अपना सारा जीवन व्यतीत करते थे 6 अप्रैल 1927 के फांसी के फैसले के बाद सभी को अलग कर दिया गया, परंतु राजेंद्र लाहिड़ी ने अपनी दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं किया जब जेलर ने राजेंद्र लाहिड़ी से पूछा ‘कि प्रार्थना तो ठीक है, परंतु अंतिम समय में इतनी भारी कसरत क्यों इसके बाद राजेंद्र लाहिड़ी ने उत्तर दिया व्यायाम मेरा नित्य का नियम है
मृत्यु के भय से मैं नियम क्यों छोड़ दूं ,दूसरा और महत्वपूर्ण कारण है कि हम पुनर्जन्म में विश्वास रखते हैं व्यायाम इसलिए किया कि दूसरे जन्म में भी बलिष्ठ शरीर मिले जो ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ युद्ध में काम आ सके अंग्रेजी सरकार ने डर से राजेंद्र लाहिड़ी को गोंडा कारागार भेजकर अन्य क्रांतिकारियों से 2 दिन पूर्व ही 17 दिसंबर 1927 को फांसी दे दी थी
शहीद राजेंद्र नाथ लाहिड़ी ने हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूमने के पहले वंदे मातरम की जोरदार हुंकार भरकर जयघोष करते हुए कहा – मैं मर नहीं रहा हूं, बल्कि स्वतंत्र भारत में पुनर्जन्म लेने जा रहा हूं क्रांतिकारी की इस जुनून भरी हुंकार को सुनकर अंग्रेज ठिठक गए थे
उन्हें लग गया था कि इस धरती के सपूत उन्हें अब चैन से नहीं जीने देंगे राजेंद्र लाहिड़ी भी भारत मां के एक ऐसे ही लाल थे जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए असंख्य कष्ट सहे और यहां तक कि अपने प्राणों का बलिदान देश के लिए निछावर कर दिया ऐसे वीर सपूत का नाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा
राजेंद्रनाथ लाहिड़ी का जीवन परिचय