पारस पत्थर का रहस्य, पारस पत्थर की दूसरी कहानी, टिटहरी की मान्यता , पारस पत्थर का रंग कैसा होता है, पारस पत्थर कहां मिलेगा, पारस पत्थर किस राजा के पास था

पारस पत्थर का रहस्य 

पारस पत्थर एक ऐसा पत्थर है जिसे लोहा छू ले तो वह सोने का हो जाता है सैकड़ों सालों से आज भी पारस पत्थर की खोज जारी है लेकिन आज तक कोई भी इसे ढूंढ नहीं पाया पारस पत्थर एक पहेली है जिसे आज तक कोई भी नहीं जान पाया एक बार मांडू राज्य में एक किसान रहता था वह घास को छील कर उसको बेचता था और अपना गुजारा करता था

एक बार जंगल में घास काट रहा था तभी अचानक से उसका हसिया किसी चीज से टकराया और हसिए के लोहे वाला हिस्सा सोने का हो गया जब किसान ने यह देखा तो वह बहुत घबरा गया और हसिए को लेकर वह मंडन लोहार के पास पहुंचा उसने लोहार से कहा कि मुझे इस हशिए के बदले लोहे का हसीया दीजिए यदि राजा को इस बारे में पता चल गया तो मुझ पर कार्रवाई हो सकती है

वह किसान राजा के डर से लोहे का हसिया ले लेता है परंतु वह लोहार बहुत ही चतुर था उसने उस किसान के भोलेपन का फायदा उठाया और उससे उस जगह के बारे में सारी जानकारी ले ली उस किसान के जाने के बाद वह लोहार उस स्थान पर पहुंचा और उसने थोड़े से प्रयास के बाद ही वह पत्थर हासिल कर लिया इस तरह वह पारस पत्थर पहली बार एक लोहार को मिला था

इसके बाद उस लोहार ने उस पत्थर से बहुत सारा धन बनाया और वह लोहार से साहूकार बन गया था मंडन लोहार की एक बेटी थी जिसकी अब शादी होनी थी उसकी शादी बुरहानपुर के राजकुमार से तय हुई इसके बाद राजकुमार से मंडन की बेटी की शादी हो गई लेकिन मंडन ने दहेज में राजकुमार को कुछ भी नहीं दिया उसने अपनी बेटी को वह पारस पत्थर दे दिया और कहा कि जब जरूरत पड़े तो इसे इस्तेमाल कर लेना राजकुमार ने सोचा था कि इस शहर के सबसे बड़े साहूकार की बेटी से उनकी शादी हुई है तो उन्हें बहुत सारा धन मिलेगा परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था

जब बारात वधु को लेकर वापस लौट रही थी तो रास्ते में शाम हो गई और नर्मदा नदी के किनारे राजकुमार ने अपना डेरा डाल दिया इसके बाद राजकुमार ने पालकी का पर्दा उठाया और राजकुमारी से गुस्से में कहा कि तुम्हारे बाप ने तो तुम्हें एक सोने का हार भी नहीं दिया पता नहीं मेरी किस खानदान में शादी हुई है और वह बहुत ज्यादा क्रोधित हो गया इसके बाद राजकुमारी ने उस बदरूप पत्थर को राजकुमार को दिया और कहा कि यह पत्थर तुम्हारी सात पीढ़ियों तक की धन की भूख को मिटा देगा

उस पत्थर को देखकर राजकुमार और अधिक क्रोधित हो गए और उन्होंने उस पत्थर को जोर के साथ नर्मदा नदी में फेंक दिया कुछ समय बाद ही पारस पत्थर नर्मदा की घाटी में विलीन हो गया इसके बाद राजकुमारी ने रोते हुए राजकुमार को बताया कि वह कोई साधारण पत्थर नहीं था उससे तुम जितना चाहे उतना धन बना सकते थे राजकुमार की यह बात सुनकर राजकुमार को बहुत ही दुख हुआ इसके बाद उसने नदी में अपने सारे सैनिक उतार दिए परंतु वह पारस पत्थर उन्हें नहीं मिला | पारस पत्थर का रहस्य |

पारस पत्थर की दूसरी कहानी 

अकबर के पास एक बहुत ही खूंखार गद्दावर नाम का हाथी था उस को काबू में करने के लिए उसके पैरों को लोहे की मोटी मोटी जंजीरों से बांधा जाता था एक बार जब अकबर ने बुरहानपुर पर आक्रमण किया तब नर्मदा को पार करने के बाद उन्होंने देखा कि उनके हाथी के बंधी हुई जंजीर सोने में बदल गई है इसके बाद अकबर ने उस पारस पत्थर को खोजने के लिए दिन रात एक कर दिए और अकबर की पूरी फौज ने नर्मदा के उस घाट को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया

लेकिन अकबर को भी वह पत्थर नहीं मिला और ना ही उनका कोई दूसरा हथियार सोने में बदला करौली जिले के तिमनगढ़ के पास स्थित एक सागर में आज भी वह पत्थर मौजूद है जब राजा तीमनलाल को एक संत ने पारस पत्थर देते हुए एक भव्य किले के निर्माण की बात कही थी दुर्ग के निर्माण के बाद राजा ने वह पत्थर एक राजपुरोहित को दे दिया था दान में साधारण सा पत्थर पाकर राजपुरोहित बहुत अधिक क्रोधित हो गए और उन्होंने वह पत्थर सागर में फेंक दिया

कुछ लोगों का यह भी मानना है कि भोपाल से 50 किलोमीटर की दूरी पर रायसेन के किले में यह पत्थर मौजूद है माना जाता है कि इस किले के राजा के पास यह पत्थर मौजूद था उस पत्थर को पाने के लिए कई राजाओं ने रायसेन किले पर आक्रमण किया था एक बार जब राजा को लगा कि वह इस युद्ध में हार जाएंगे तब उन्होंने अपने किले में बने तालाब में उस पत्थर को फेंक दिया था

इसके बाद इस युद्ध में राजा की मृत्यु हो गई थी राजा की मृत्यु के कुछ समय बाद ही महल वीरान हो गया था और यह पारस पत्थर महल में ही कहीं गुम हो गया कई राजाओं ने महल को खोदकर इस पत्थर को ढूंढने की कोशिश की थी परंतु वह सब असफल रहे कई लोग पारस पत्थर की खोज में रात को इस महल में खुदाई करते हैं कई लोग जादू टोना का भी सहारा लेते हैं आसपास के लोगों का मानना है कि कई बार यहां लोग इस पत्थर की तलाश में आए और वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे क्योंकि पारस पत्थर की सुरक्षा एक जिन्न करता है | पारस पत्थर का रहस्य |

टिटहरी की मान्यता 

 टिटहरी एक बहुत ही शर्मीला पक्षी है यह कभी भी वृक्षों पर नहीं बैठता यह हमेशा जमीन पर ही रहता है और यह अधिक ऊंचाई तक भी नहीं उठ सकता है लोगों के मन में यह धारणा बनी हुई है कि टिटहरी अपने अंडों को पारस के पत्थर से तोड़ दी है परंतु ऐसा कुछ भी नहीं है यह सिर्फ एक कल्पना है ऐसी मान्यता है कि टिटहरी जिस दिन वृक्ष पर रहने लगे समझो की धरती पर भूकंप आ जाएगा टिटहरी कभी भी वृक्ष पर अपना घर नहीं बनाती है

भूमि पर ही अंडे देती है और भूमि पर ही रहती है कोई भी अन्य पक्षी जब भी अंडा देता है तो उस पर बैठकर उसको गर्म करके उसको तोड़ता है लेकिन टिटहरी यह सबसे अलग है और ऐसा बिल्कुल भी नहीं करती है कहा जाता है कि टिटहरी जब भी जमीन पर अंडा देती है तो उसे तोड़ने के लिए उसको पारस पत्थर की जरूरत पड़ती है कहा जाता है कि अगर पारस लोहे को भी छू ले तो वह सोना बन जाता है यह एक रहस्यमई पत्थर है जो कि हर किसी को आसानी से नहीं मिलता लेकिन इससे ना जाने कहां से ढूंढ लेती है पारस बहुत ही कीमती पत्थर है जो बहुत ही दुर्लभ है | पारस पत्थर का रहस्य |