पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय ,पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म ,दीनदयाल जी की शिक्षा ,दीनदयाल उपाध्याय का राजनीतिक जीवन ,दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु ,दीनदयाल की रचनाएं
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को वर्तमान उत्तर प्रदेश की पवित्र ब्रजभूमि मथुरा में नगला चंद्रभान नामक गांव में हुआ था इनके पिता जी का नाम “भगवती प्रसाद उपाध्याय” और उनकी माता जी का नाम “रामप्यारी” था इनका जीवन संघर्ष से भरा रहा है दीनदयाल के पिताजी रेलवे में जलेसर में स्टेशन मास्टर थे और इनकी माता धार्मिक रीति-रिवाजों को मानने वाली महिला थी
दीनदयाल जी का पारिवारिक जीवन खुशी खुशी चल रहा था तभी अचानक 1910 में इनके पिताजी की मृत्यु हो गई जब दीनदयाल जी की उम्र सिर्फ ढाई साल की थी ऐसी स्थिति में इनके नाना जी ने इनके परिवार को संभाला व पालन पोषण किया इसी बीच इनकी माता भी बीमार रहने लगी और कुछ समय बाद इनकी माता जी का भी देहांत हो गया जिससे वे अनाथ हो गए किंतु इनका पालन-पोषण ननिहाल में बेहतर तरीके से होने लगा जब दीनदयाल जी केवल 10 वर्ष के थे तब इनके नाना का भी देहांत हो गया
इस तरह से दीनदयाल जी ने छोटी सी उम्र में अपने पूरे परिवार को खो दिया अब इनको अपने भाई शिवदयाल का ही एकमात्र सहारा था अब दोनों अपने मामा जी के साथ रहने लगे दीनदयाल जी ने अपने भाई को एक अभिभावक के रूप में देखा किंतु इनके भाई को छोटी सी उम्र में एक गंभीर बीमारी ने घेर लिया जिसके चलते 18 नवंबर सन 1934 में इनके भाई की भी मृत्यु हो गई फिर दीनदयाल जी ने बिना हार माने प्रण लिया कि वह अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करेंगे इस तरह से दीनदयाल इनका बचपन में एक ज्योतिषी ने इनकी जन्म कुंडली देखकर भविष्यवाणी की थी कि आगे चलकर यह बालक एक महान विद्वान एवं विचारक बनेगा एक अग्रणी राजनेता और निस्वार्थ सेवावर्ती होगा मगर यह विवाह नहीं करेगा पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय
दीनदयाल जी की शिक्षा
दीनदयाल जी ने अपनी इंटरमीडिएट की परीक्षा पिलानी में विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण की इसके बाद वह बी.ए. की शिक्षा ग्रहण करने के लिए कानपुर आ गए जहां वह सनातन धर्म कॉलेज में भर्ती हो गए अपने एक मित्र श्री बलवंत महाशब्दे की प्रेरणा से सन 1937 में पंडित दीनदयाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सम्मिलित हो गए
उसी वर्ष इन्होंने बी.ए. की परीक्षा भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की दीनदयाल जी ने अपनी मैट्रिक स्तर की शिक्षा सीकर राजस्थान से पूरी की थी और इंटर की पढ़ाई इन्होंने राजस्थान के पिलानी में स्थित बिरला कॉलेज से की थी 1936 में प्रथम स्थान में बीए स्नातक की अवधि प्राप्त की थी इसके बाद MA की पढ़ाई के लिए यह आगरा आ गए और सेंट जॉन्स कॉलेज से m.a. की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय
दीनदयाल उपाध्याय का राजनीतिक जीवन
आगरा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सेवा के दौरान इनका परिचय श्री नानाजी देशमुख से हुआ इसी समय दीनदयाल की बहन सुश्री रमा देवी बीमार पड़ गई और अपने इलाज के लिए आगरा आ गई मगर दुर्भाग्यवश उनकी मृत्यु हो गई दीनदयाल के लिए जीवन का यह दूसरा बड़ा आघात था इसका कारण वह अपनी MA की परीक्षा नहीं दे सके और इनकी छात्रवृत्ति भी समाप्त हो गई
भारतीय जनसंघ की स्थापना डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा वर्ष 1951 में की गई थी और दीनदयाल उपाध्याय को प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया था दीनदयाल उपाध्याय लगातार दिसंबर 1967 तक जनसंघ के महासचिव बने रहे इनकी कार्यक्षमता खुफिया गतिविधियों और परिपूर्णता के गुणों से प्रभावित होकर डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी इनके लिए गर्व से सम्मान पूर्वक कहते थे कि यदि मेरे पास दो दीनदयाल हो, तो मैं भारत का राजनीतिक चेहरा बदल सकता हूं,
परंतु अचानक वर्ष 1953 में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के असमय निधन से पूरे संगठन की जिम्मेदारी दीनदयाल उपाध्याय के युवा कंधों पर आ गई थी इस प्रकार इन्होंने लगभग 15 वर्षों तक महासचिव के रूप में जनसंघ की सेवा की थी भारतीय जनसंघ के 14 वें वार्षिक अधिवेशन में दीनदयाल उपाध्याय को दिसंबर 1967 में कालीकट में जन संघ का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया था पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय
दीनदयाल की रचनाएं
पंडित दीनदयाल पत्रकार तो थे इसके साथ वह एक अच्छे लेखक भी थे इनकी असामयिक मृत्यु से एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि जिस धारा में वह भारतीय राजनीति को ले जाना चाहते थे वह धारा हिंदुत्व की थी जिसका संकेत इन्होंने अपनी कुछ कृतियों में ही दे दिया था तभी तो कालीकट अधिवेशन के बाद विश्व भर के मीडिया का ध्यान उनकी ओर गया इनकी कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं जैसे कि-
2 योजनाएं, राजनीतिक डायरी, भारतीय अर्थ नीति का अवमूल्यन, सम्राट चंद्रगुप्त, जगतगुरु शंकराचार्य, एकात्म मानववाद, राष्ट्र जीवन की दिशा, एक प्रेम कथा पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय
दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु
पंडित दीनदयाल का निधन अचानक हो गया था जिस वक्त इनकी मृत्यु हुई थी उस वक्त उनकी उम्र केवल 51 वर्ष की थी दीनदयाल जी की मृत्यु 11 फरवरी 1968 को हुई थी जब यह अपनी पार्टी से जुड़े कार्य के लिए लखनऊ से पटना की ओर जा रहे थे इसी दौरान इनकी हत्या कर दी गई थी इनका शव दूसरे दिन मुगलसराय रेलवे स्टेशन के पास मिला था इनकी हत्या किसने की इसका पता नहीं चल पाया था
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय