नीमराना किले का इतिहास ,नीमराणा किले का निर्माण,नीमराना किले की विशेषता, नीमराना किले का अनुभव ,नीमराना किले की बावड़ी का निर्माण
नीमराना किले का इतिहास
15वीं शताब्दी 1464 में निर्मित नीमराना किला अद्भुत सौंदर्य का प्रतीक है यह राजसी किला पहाड़ी के ऊपर 10 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है जो राजस्थानी कि परंपरा और आधुनिक शैली के आंतरिक मिश्रण को प्रदर्शित करता है नीमराना दुर्ग के आसपास अनेक घूमने के लिए स्थल हैं
जो यात्रियों को अपनी और आकर्षित करते हैं नीमराना किला 552 साल पुराना माना जाता है नीमराना किला भारत के उन प्राचीनतम किलो मे से एक है जिसे अब होटल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है नीमराणा एक ऐतिहासिक दुर्ग के साथ-साथ खूबसूरत प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है जिस कारण यहां पर्यटकों का आना- जाना लगा रहता है
इस किले पर बहुत पुराने समय में पृथ्वीराज चौहान के वंश के राजा महाराजा शासन करते थे उन्होंने बहुत सालों तक इस किले पर निवास किया था नीमराणा किला दिखने में काफी भव्य प्रतीत होता है नीमराना किला जब बनवाया गया उस वक्त इसमें कुल 11 मंजिलें बनवाई गई थी
इस 10 मंजिला महल के कुल 50 कमरे रिसोर्ट में है यह किला 3 एकड़ में अरावली पहाड़ी को काटकर बनाया गया है यही कारण है कि इस महल में नीचे से ऊपर जाना किसी पहाड़ी पर चढ़ने का एहसास कराता है नीमराणा की भीतरी साज-सज्जा में काफी छाप अंग्रेजों के दौर की भी देखी जा सकती है ज्यादातर कमरों की अपनी बालकनी है जो आसपास की भव्यता का पूरा नजारा प्रदान करती हैं नीमराना किले का इतिहास
नीमराणा किले का निर्माण
एक समय में यह किला पूरी तरह से खंडहर बन चुका था लेकिन अब यह किला एक भव्य और सुंदर महल का रूप ले चुका है राजस्थान की पुरानी और नई वास्तु शैली का मिश्रण है नीमराना किला काफी पुराना और प्रसिद्ध किला है इस किले के नाम के पीछे भी 1 रोचक कथा है बहुत साल पहले इस जगह पर निमोला मियो नाम का शासक हुआ करता था
उसकी इच्छा थी कि इस किले को उसका नाम दिया जाए इसलिए उस इंसान के नाम के कारण ही इस किले को नीमराना किला का नाम दिया गया पृथ्वीराज चौहान की 1192 में मोहम्मद गौरी के साथ जंग में मौत हो गई थी इसके बाद चौहान वंश के राजा राजदेव ने नीमराणा चुना लेकिन यहां का निर्माता मियो नामक बहादुर शासक था चौहानो से जंग में हारने के बाद निमोला ने अनुरोध किया कि उस जगह को उसके नाम से रख दिया जाए तभी से इसे नीमराणा कहा जाने लगा इसे पृथ्वीराज चौहान के वंशजों ने अपनी राजधानी के रूप में चुना था
सन 1464 में निर्माण किए किले को पृथ्वीराज चौहान तृतीय के उत्तराधिकारी राजधानी के रूप में इस्तेमाल करते थे लेकिन जब भारत में अंग्रेजों का शासन था तो चौहान शासकों की ताकत कम पड़ गई थी लेकिन उन्होंने कभी भी अंग्रेजों के सामने हार नहीं मानी थी 1947 में राजा राजेंद्र सिंह ने नीमराणा किले को छोड़ दिया और विजय बाग को एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करने का सोचा था कहा जाता है राजा राजेंद्र सिंह इस किले को बेचना चाहते थे 1986 में इस किले की दोबारा मरम्मत कराई गयी इसके बाद सन् 1991 में इस किले को आम लोगों के देखने के लिए खोला गया लेकिन यहां सिर्फ 15 कमरों में लोगों को रहने की इजाजत दी गई इस किले को कई पुरस्कार के लिए भी नामित किया जा चुका है नीमराना किले का इतिहास
नीमराना किले की विशेषता
इसमें इन ताज सत्य और आगा खान पुरस्कार शामिल है 2008 तक यह किला एक महल का रूप ले चुका था और इसमें 72 कमरे भी बनवाए गए थे कई सारे हैंगिंग गार्डन, रेस्टोरेंट और काफी बड़े बड़े तालाब भी इस में बनवाए गए थे एक समय में यह किला पूरी तरह से खंडहर बन चुका था लेकिन अब यह किला एक भव्य और सुंदर महल का रूप ले चुका है ऊंची पहाड़ी पर स्थित नीमराना किला हवेली के आसपास सौंदर्य का निशान दृष्टिकोण को और भी आकर्षक बना देता है
ऊंचे पहाड़ पर बने होने के कारण ज्यादातर कमरों की बालकनी से आसपास की भव्यता का पूरा आनंद उठा सकते हैं यहां तक कि इस किले के बाथरूम से भी आपको हरे भरे नजारे देखने को आसानी से मिल जाएंगे इस किले को 1986 में एक होटल के रूप में तब्दील कर दिया गया था यहां नजारा महल और दरबार महल एक बड़ा सा होल बनाया हुआ है होटल में बने इस महल में कई सुंदर होल बने हुए हैं इस महल में एक स्विमिंग पूल भी बना हुआ है नाश्ते के लिए राज महल व हवा महल बने हुए हैं और खाने के लिए आमखास,पांच महल, अमलतास, अरण्य महल, होली कुंड, वह महा बुर्ज बने हुए हैं
इस किले की बनावट ऐसी कि हर कदम पर शाही ठाठ का एहसास होता है इस दुर्ग के निर्माण में मुगलकालीन और राजपूताना वास्तुकला शैली का मिश्रण साफ दिखाई पड़ता है इसके अलावा महल की भीतरी साज-सज्जा में अंग्रेजों के दौर की छवि भी देखी जा सकती है वर्तमान समय में यह पैलेस एक प्रमुख विरासत स्थल बन चुका है और शादियों में सम्मेलनों के लिए उचित स्थान है
इस किले की खास बात यह है कि यहां पर बने हर कमरे को अलग-अलग नाम दिया गया है अगर आप किले में राजसी ठाठ का आनंद लेना चाहते हैं तो मामूली शुल्क देकर पर्यटक 2 घंटे के लिए महल की भव्यता का लुत्फ उठा सकते हैं लेकिन इसके कमरे दिन भर के लिए उपयोग कर सकते हैं रात्रि के समय इन कमरे को किराए पर नहीं दिया जाता है देश के मशहूर टाइगर रिजर्व में से एक सरिस्का टाइगर रिजर्व यहां पर स्थित है
नीमराना किले का अनुभव
नीमराना किला राजस्थान का एक प्रमुख विरासत होटल होने के साथ-साथ भारत का एक अनूठा होटल होने पर बहुत गर्व करता है दिल्ली जयपुर हाईवे के पास यह विरासत होटल जयपुर में आपके चाही अवकाश के लिए एक आदर्श स्थान है जबकि है देखने और यात्रा करने के लिए एक परम आनंद की खोज है नीमराना में 14 स्तरीय संपत्ति की खोज के लिए कई कदम और रैंप शामिल है
इसे 2016 से दो लिफ्टों की आवश्यकता है और संपत्ति और इसके दृश्यों का आनंद लें लेकिन यह पूरे फोर्ट प्लेस तक पहुंच प्रदान नहीं करते हैं यह ध्यान दिया जाना चाहिए की पूरी संपत्ति के माध्यम से यात्रा करने के लिए एक निश्चित स्तर की शारीरिक फिटनेस की आवश्यकता होती है नीमराना किले में पहली शादी के लिए 1000 मोमबत्तीयों की चैंपल मनाया गया था केंद्रीय प्रांगण में सफेद और नारंगी ओरिएंटल लिली टुकड़ों से लटकी हुई थी नीमराना किले का इतिहास
नीमराना किले की बावड़ी का निर्माण
नीमराना किले में बावड़ी का निर्माण विक्रम संवत 1740 में तत्कालीन राजा मानसिंह ने करवाया थादूर से यह बावड़ी समतल नजर आती है लेकिन हकीकत में यह जमीन से 250 फीट गहरी है नीचे उतरती दिशा में 9 मंजिल बनी हुई है इनके बीच 150 सीढ़ियां हैं इसे स्थानीय भाषा में रानी की बावली के नाम से भी जाना जाता है यह बावड़ी नीमराना महल के नजदीक स्थित है
जिसमें 170 चरण है और जैसे-जैसे हम नीचे जाते हैं निर्माण छोटा होता जाता है इस बावड़ी के निर्माण का प्राथमिक कारण उस अवधि के दौरान क्षेत्र में आए अकाल के दौरान रोजगार पैदा करना था यह राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है नीमराना बावड़ी पुरानी वास्तुकला की सुंदरता को दर्शाता है जिसमें पुराने निर्माण कला की उत्कृष्टता देखी जा सकती है यह बावड़ी पानी और सिंचाई दोनों के लिए उपयोग के साथ-साथ आकर्षक पर्यटक स्थल भी बना हुआ है जहां पर्यटकों की काफी भीड़ देखी जाती है
नीमराना किले का इतिहास