नथिया माता का इतिहास , माता नथिया का चमत्कार ,माता नथिया की चौकी , नथिया चौकी नथिया माता

नथिया माता का इतिहास 

नथिया माता भगत समाज का सबसे अहम हिस्सा रही है और हमेशा रहेगी माता को कंजर समाज से होने पर भी एक सिद्ध देवी के रूप में पूजा जाता है नथिया माता को एक जादूगरनी से एक चीज देवी बनाने में कई गुरु और सेवा पंथ से गुजरना पड़ा

नथिया माई का पूजा स्थान भेतखेड़ा हसनपुर उत्तर प्रदेश माना जाता है क्योंकि यहां माही ने अपने प्रथम गुरु नत्थू सपेरा के कहने पर रुकी थी वैसे नथिया माई डाका बंगाला से माया ज्ञान का कुछ पाने से वहां की भी मानी जाती है जिस समय भारत पर मुगलों का शासन था

उस समय मुगल भारतीयों पर इतना अत्याचार करते थे कि जिन्हें सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं उस समय एक कंजर समाज के व्यक्ति ने मुगलों के विरुद्ध जंग छेड़ दी थी और जो वह व्यक्ति थे वह नथिया के पिताजी थे इनके पिताजी एक लोहार का काम करते थे इनकी बेटी बचपन से ही बहुत गुणवान थी नथिया का बचपन से ही पूजा-पाठ में बहुत मन था

माता नथिया जैसे-जैसे बड़ी हुई वैसे ही उनकी सुंदरता बढ़ती गई थी वह इतनी सुंदर थी कि जो भी उन्हें देखता था वह उन पर मोहित हो जाता था जब माता नथिया युवावस्था में आई तब उन्होंने मां काली की आराधना की और उन्हें अपनी आराधना से प्रसन्न कर लिया था जब उनकी सुंदरता के बारे में मुगलों को पता चला तो उन्होंने माता नथिया को उठाने का फैसला लिया था

जब यह बात माता नथिया के पिताजी को पता चली तो उन्होंने मुगलों के खिलाफ जंग छेड़ दी थी और इस जंग में नथिया के पिताजी की मौत हो गई थी इसके बाद नथिया ने मुगलों से मुकाबला किया और बहुत से मुगलों को मौत के घाट उतार दिया था | नथिया माता का इतिहास |

माता नथिया का चमत्कार 

यूपी में एक गांव है जहां पर जिन्न का बहुत ही आंतक हुआ करता था वहां के लोग उस जिन से इतना डरते थे कि रात के समय कोई भी घर से बाहर नहीं निकलता था उस जिन्नात ने एक पूरे परिवार को भी खत्म कर दिया था उस परिवार में केवल एक स्त्री बची थी जहां पर जिन्नात रात्रि को जाया करता था वह घर ही उसका ठिकाना बन गया था एक रात उस गांव में एक भगत आता है और वह ठहरने के लिए स्थान मांगता है

वह कहता है कि मुझे आज की रात के लिए कोई स्थान दे दीजिए क्योंकि मैं रात के समय कहीं भी अब नहीं जा सकता तभी सारे गांव के लोग उस भगत को उस जिन के बारे में बताते हैं सभी लोग उसको जिन्नात की पूरी घटना के बारे में बताते हैं वह व्यक्ति माता नथिया का भगत होता है और वह निश्चय करता है कि यह सब वह अपनी आंखों से देखना चाहता है इसके बाद वह भगत उस घर का पता लेता है जहां पर जिन्नात हर रात्रि को आता था

जब वह भगत है उस घर में जाता है तो रास्ते में उसे वह हिस्ट्री मिलती है और उससे कहता है कि कृपया मुझे आज रात के लिए यहां पर थोड़ा सा स्थान दे दीजिए वह स्त्री उसे चेतावनी देती है कि कृपया आप यहां से चले जाइए यदि आप यहां से नहीं गए तो वह जिन्नात आपको मार डालेगा इसके बाद वह भगत उस स्त्री से अंदर जाने की अनुमति मांग लेता है और उससे एक खाट और एक साड़ी मांगता है इसके बाद वह स्त्री उसे एक साड़ी और एक खाट दे देती है

इसके बाद वह भगत घर के बाहर खाट को डाल देता है और उस साड़ी से एक औरत का पुतला बनाकर उसे खाट के पास रख लेता है जब आधी रात्रि का समय होता है तो वह जिन्नात वहां पर आता है और वह उस व्यक्ति से कहता है कि तुम यहां से चले जाओ वरना तुम्हारा भी वही हाल होगा जो और लोगों का हुआ था

इसके बाद वह व्यक्ति वहां से जाने के लिए मना कर देता है उसकी बात को सुनकर जिन्नात गुस्से से उसे मारने के लिए उसकी तरफ बढ़ता है तब वह पुतला एक औरत का रूप धारण कर लेता है वह औरत माता नथिया थी माता नथिया ने उस जिन्नात को इतना मारा और उसे मारते हुए गांव के बीच में ले गई जब सभी लोगों ने यह नजारा देखा तब माता की असीम कृपा को देखकर सभी लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं इसके बाद वह जिन्न गांव से बाहर चला जाता है और आज तक उस जिन्न का कोई भी पता नहीं है आज उस गांव के लोग स्वतंत्र और निर्भय घूम रहे हैं

जब यह सब घटना समाप्त होती है तब पूरा गांव उस भगत का धन्यवाद करता है कि उन्होंने माता नथिया की असीम कृपा से किस प्रकार पूरे गांव को उस जिन से मुक्ति दिलाई थी जब वह भगत जाने लगता है तो पूरा गांव उससे उस स्त्री से शादी करने का प्रस्ताव रखता है और वह भगत उसे स्वीकार कर लेता है आज भी उस भगत का परिवार उस गांव में निवास करता है | नथिया माता का इतिहास |

माता नथिया की चौकी 

जब पांचो बावरी गोगाजी के वरदान से सामर्थ्य हो जाते हैं गोगा जी ने सबर सिंह और केसरमल को वरदान दिया था कि धर्म की रक्षा के लिए यदि तुम्हारे सिर भी कट जाए तो तुम मुझे याद कर लेना मैं उन्हें फिर से जोड़ दूंगा

एक बार सबल सिंह के स्वपन में माई श्याम है और वह उनसे कहती है कि तुम पांचों भाई तो समर्थ गए हो और मुझे डाकाबंगाला में छोड़ आए हो, मेरी आत्मा आज भी वहीं पर तड़प रही है जब सबल सिंह की आंखें खुलती है तब उन्हें अपनी गलती का एहसास होते हैं और वह माता मसानी की आराधना करते हैं

माता मसानी की इतनी तपस्या करते हैं कि माता मसानी उन्हें साक्षात दर्शन देती है और उनकी भक्ति से प्रसन्न हो जाती है तब सबल माता मसानी से प्रार्थना करते हैं कि मैं माता नथिया और माता शैडो को सामर्थ्य कराना चाहता हूं इसके बाद माता मसानी सबल सिंह को वचन दे देती है कि वह माता नथिया और माता शैडो को सामर्थ्य कराएगी

इसके बाद अपने वचन के अनुसार माता मसानी सबसे पहले माता नथिया को जीवित करती है और अपनी दिव्य शक्ति प्रदान करके माता नथिया को नत्थू गुरु के पास विद्या सीखने के लिए भेज देती है और श्याम कौर को मुरथल से जीवित करके मुरथल में बने हरि सिंह के मंदिर में बिठा देती है और उनसे कहती है कि तुम्हारे भाई तुम्हें यही पर लेने के लिए आएंगे इसके बाद माता मसानी अंतर्ध्यान हो जाती है इसके बाद माता नथिया मसानी के कहे अनुसार विद्या सीखने के लिए ढाका बंगाल की ओर रवाना हो जाती है वहां पहुंचने के बाद माता नथिया ने नत्थू गुरु से तांत्रिक की विद्या ग्रहण की थी | नथिया माता का इतिहास |