नर्मदा नदी का इतिहास, नर्मदा नदी पर बने बांध , नर्मदा नदी घाटी परियोजना , नर्मदा नदी की प्रेम कहानी
नर्मदा नदी का इतिहास
नर्मदा नदी मध्य भारत की एक नदी है और यह भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है नर्मदा नदी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात में बहती है नर्मदा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश राज्य के अनूपपुर जिले में विद्यांचल पर्वत श्रंखला के मैकल पर्वत पर अमरकंटक में नर्मदा कुंड से हुआ था
नर्मदा नदी गुजरात के भरूच जिले के पश्चिम में खंभात की खाड़ी में गिरती है और अंत में अरब सागर में जाकर मिलती है नर्मदा नदी की कुल लंबाई 1,312 किलोमीटर है नर्मदा नदी का क्षेत्रफल 93,180 वर्ग किलोमीटर है नर्मदा नदी की कुल 41 सहायक नदियां हैं जिनमें कुछ प्रमुख है जैसे हीरन, तीन्दोली, बरना, चंद्र केसर, कानर, मान ,ऊंट, हथनी, कोलर,ओसांग,करंजन नर्मदा नदी पर बने जलप्रपात मध्य प्रदेश में धुआंधार जलप्रपात ,कपिलधारा जलप्रपात, दुग्धधारा जलप्रपात मंधार जलप्रपात, सहस्त्रधारा जलप्रपात, निनाई जलप्रपात, जरवानी जलप्रपात नर्मदा नदी को कुछ अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे- मैंकाल सुता, शंकरी, रेवा, सोगो, सोमदेव,नमादोश | नर्मदा नदी का इतिहास |
नर्मदा नदी पर बने बांध
1.इंदिरा सागर बांध -यह पुनासा जिला, खंडवा मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर बना बांध है यह इंदिरा सागर बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है
2.सरदार सरोवर बांध- सोनगढ़, गुजरात
3.ओम्कारेश्वर डैम- मध्यप्रदेश
4.महेश्वर बांध- खरगोन ,मध्य प्रदेश
5. बरगी डैम- मध्य प्रदेश
6.मान बांध- धार, मध्य प्रदेश
7. जोवत्र डैम -अलीराजपुर, मध्य प्रदेश
8.तवा बांध- होशंगाबाद, मध्य प्रदेश
नर्मदा नदी घाटी परियोजना
1.सरदार सरोवर परियोजना- गुजरात
2.इंदिरा सागर परियोजना- मध्य प्रदेश
3.महेश्वर परियोजना- मध्य प्रदेश
4.ओमकारेश्वर प्रयोजना- मध्य प्रदेश
5. रानी अवंती सागर परियोजना
नर्मदा नदी भारत के इन जिलों से होकर बहती है अनूपपुर, मंडला, डिंडोरी, जबलपुर, नरसिंहपुर, रायसेन ,होशंगाबाद, सीहोर, हरदा ,देवास, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, धार, अलीराजपुर, नर्मदा जिला वडोदरा, भरूच नर्मदा नदी के किनारे कुछ एक धार्मिक स्थल है जैसे नीलकंठ धाम स्वामीनारायण मंदिर -गुजरात, ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग- खंडवा मध्य प्रदेश, तिलवारा घाट -जबलपुर मध्य प्रदेश, नर्मदा कुंड -अमरकंटक ,सिद्धेश्वर मंदिर- नेमावर, 64 योगिनी मंदिर- जबलपुर, 24 अवतार मंदिर- ओमकारेश्वर, भृगु ऋषि मंदिर- गुजरात, कपिलधारा -मांधाता
नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश तथा गुजरात की जीवन रेखा कहा जाता है नर्मदा नदी उत्तर भारत तथा दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा का निर्माण करती है नर्मदा नदी मध्य प्रदेश की सबसे लंबी तथा सबसे बड़ी नदी है इंदौर की महारानी लोकमाता “अहिल्याबाई होलकर” नर्मदा नदी किनारे अनेक मंदिरों का निर्माण 18वीं शताब्दी में कराया था
मध्य प्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है नर्मदा, ताप्ती और माही यह पश्चिम की ओर बहने वाली नदियां हैं नर्मदा नदी अपने मुहाने पर एसचुरी का निर्माण करती है, यह डेल्टा नहीं बनाती है तवा नदी नर्मदा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है तवा नदी तथा नर्मदा नदी का संगम होशंगाबाद मध्य प्रदेश में है नर्मदा नदी भ्रंश घाटी से बहती है नर्मदा नदी विद्यांचल पर्वत श्रेणी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी को अलग करती है तथा इनके बीच से बहती है
भारत में 4 नदियों को चार वेदों के रूप में माना गया है जैसे गंगा ऋग्वेद वेद, यमुना को- यजुर्वेद, सरस्वती को- अर्थर्ववेद, नर्मदा को- सामवेद नर्मदा का कुल बेसिन 98,796 वर्ग किलोमीटर है धूपगढ़ पचमढ़ी के निकट नर्मदा बेसीन का सबसे ऊंचा बिंदु है नर्मदा नदी सात पवित्र नदियों में से एक मानी जाती है रामायण महाभारत तथा परवर्ती ग्रंथों में नर्मदा नदी के विषय में अनेक उल्लेख मिलते हैं
सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा “स्टैचू ऑफ यूनिटी” नर्मदा नदी किनारे केवड़िया कॉलोनी जिला नर्मदा गुजरात में स्थित है यह विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है कान्हा राष्ट्रीय उद्यान नर्मदा नदी की सहायक नदियों के किनारे स्थित है नर्मदा प्रायद्वीपीय भारत की तीसरी सबसे लंबी नदी है जो गोदावरी और कृष्णा के बाद पूरी तरह से भारत के भीतर बहती है नर्मदा नदी में पाए जाने वाले शिवलिंग विश्व प्रसिद्ध है तथा इन्हें ‘नर्मदेश्वर महादेव’ कहा जाता है 12 ज्योतिर्लिंगों में से 1 ज्योतिर्लिंग ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग खंडवा मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी किनारे स्थित है | नर्मदा नदी का इतिहास |
नर्मदा नदी की प्रेम कहानी
राजकुमारी नर्मदा राजा मिखल की पुत्री थी राजा ने अपनी पुत्री की शादी के लिए यह तय किया कि जो राजकुमार गुलाब कबली के दुर्लभ फूल लेकर आएगा वह अपनी पुत्री का विवाह उसी के साथ संपन्न करेंगे इसके बाद राजकुमार सोनभद्र गुलाब काबली के फूल ले आए और उनसे राजकुमारी नर्मदा का विवाह तय हुआ नर्मदा अब तक सोमभद्र के दर्शन नहीं कर सकी थी परंतु फिर भी उसके पराक्रम के बारे में सुनकर उससे मन ही मन में प्रेम करने लगी थी
विवाह होने में कुछ समय बाकी था लेकिन नर्मदा से रुका नहीं गया उसने अपनी दासी जूहीला के हाथों प्रेम संदेश भेजने का सोचा उसकी सहेली ने राजकुमार के साथ मजाक करने की सोची और उसने राजकुमारी से उसके वस्त्र और आभूषण मांगे और वह पहनकर राजकुमार से मिलने के लिए निकल पड़ी
जब वह राजकुमार सोमभद्र के पास पहुंची तो सोनभद्र उसे राजकुमारी नर्मदा समझ बैठा दूसरी तरफ जोहिला के मन में भी नियत का खोट आ गया और वह नर्मदा के पास वापस नहीं लौटी जब नर्मदा का सब्र का बांध टूटा तो वह सोमभद्र से मिलने के लिए निकल पड़ी वहां पहुंचकर सोमभद्र और जुहिला को साथ देख कर अपमान की आग में झुलसने लगी और तुरंत वहां से उल्टी दिशा में चल पड़ी और फिर कभी वापस नहीं लौटी इसके बाद सोमभद्र अपनी गलती पर पछतावा करता रहा लेकिन स्वाभिमान और विद्रोह से बनी नर्मदा लौटकर नहीं आई जोहिला नदी को आज भी दूषित माना जाता है | नर्मदा नदी का इतिहास |