मुलायम सिंह यादव का जीवन परिचय,मुलायम यादव का जन्म ,मुलायम सिंह यादव पर हमला,समाजवादी पार्टी की स्थापना ,मुलायम सिंह यादव की मृत्यु
मुलायम सिंह यादव का जीवन परिचय
मुलायम यादव ने दिल्ली और लखनऊ पर राज करने का सपना देखा था इन्होंने यूपी पर तीन बार राज किया और दिल्ली का सुल्तान बनते बनते रह गए थे केंद्र में संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान मार्क्सवादी नेता हरी किशन सिंह सुरजीत मुलायम यादव के पास एक खास संदेश लेकर आए थे उन्होंने कहा कि आपका नाम प्रधानमंत्री के लिए तय किया गया है लेकिन वर्तमान में मुलायम सिंह यादव के समधी लालू यादव ने आपत्ति जता दी थी
मुलायम सिंह यादव दिल्ली की गद्दी पर बैठना चाहते थे लेकिन उन्हें गद्दी तो नहीं मिली रक्षा मंत्री रहकर केंद्रीय मंत्री भी बने जिन लालू प्रसाद यादव ने मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया था आज वर्तमान समय में वह लालू यादव मुलायम सिंह यादव के समधी हैं यदि लालू और मुलायम के बीच आज जैसे संबंध होते तो मुलायम यादव पीएम बन जाते मुलायम सिंह यादव संघर्ष के समय एक जीप से चलते थे और प्रचार करते करते जहां पर भी रात हो जाती थी तो वहीं के ढाबे पर सो जाते थे और वही से सुबह प्रचार के लिए निकल जाते थे मुलायम सिंह यादव इतने जमीनी नेता थे कि उन्हें अपने कार्यकर्ताओं के नाम और उनके परिवार के बारे में जानकारी रहती थी | मुलायम सिंह यादव का जीवन परिचय
मुलायम यादव का जन्म
मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को सैफई इटावा उत्तर प्रदेश में हुआ था मुलायम जी यादव के पिता जी का नाम शुगर सिंह और माताजी का नाम मूर्ति देवी था मुलायम सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से m.a. और जैन इंटर कॉलेज जो कि मैनपुरी की करहल में है वहां से पढ़ाई की थी इसके बाद करहल के कॉलेज में कुछ दिनों तक अंग्रेजी के अध्यापक भी रहे थे पांच भाई-बहनों में तीसरे नंबर के मुलायम यादव की दो शादियां हुई थी उनकी पहली शादी “मालती देवी” से हुई थी मालती देवी के साथ रहते हुए ही मुलायम यादव ने “साधना गुप्ता” से विवाह किया था
“अखिलेश यादव” मालती देवी के बेटे हैं जबकि प्रतीक यादव साधना गुप्ता के बेटे हैं एक बार एक मंच पर कविता पाठ हो रहा था वह एक पुलिस वाला कवियों को कविता पढ़ने से रोक रहा था तभी मुलायम यादव ने उस पुलिस वाले को उठाकर मंच पर ही पटक दिया और यहीं से मुलायम की राजनीति की कुश्ती की नींव पड़ती है जसवंत नगर से विधायक और मुलायम के पहले राजनीतिक गुरु नत्थू राम ने अखाड़े में भी देखा एक पहलवान अपने से बड़े उम्र के पहलवानों को कुश्ती में हरा रहा था उस दिन इनाम मिल जाते थे लेकिन घर नहीं चलता था
1965 में मुलायम सिंह करहल के एक स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाने लगी मुलायम सिंह समाजवादी आंदोलनों में भी हिस्सा लेते थे जब नथुराम का स्वास्थ्य खराब हुआ तो उन्होंने मुलायम सिंह को जसवंतनगर से चुनाव लड़ा दिया राजनीति की पहली लड़ाई में मुलायम सिंह ने अपने विरोधी लखन सिंह को धूल चटा दी थी पहले किसानी कि,फिर पहलवानी की,फिर मास्टरी ,इसके बाद की राजनीति, फिर विधायकी की और फिर यूपी की सियासत का सबसे बड़ा सुल्तान बन गए मुलायम सिंह यादव राजनीति में चाणक्य जैसी चाल चलते थे
जैसे अखिलेश यूपी के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने थे वैसे ही 1967 में 28 साल की उम्र में मुलायम यादव राज्य के सबसे छोटे MLA बने थे 26 जून 1975 को देश में आपातकाल लग गया था मुलायम ने 19 महीने इटावा की जेल में काटे थे इमरजेंसी के बाद जब जनता पार्टी का गठन हुआ तब देश में चुनाव हुआ तब मुलायम यादव चुनाव लड़े और जीते उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार राम नरेश यादव सीएम बने और मुलायम सिंह पहली बार सहकारिता मंत्री बनाए गए
उस समय लोगों ने मुलायम सिंह यादव का मजाक बनाया कि उनकी जाति के अनुसार उन्हें गाय-भैंस वाला मंत्रालय दे दिया गया है लेकिन मुलायम ने सहकारी बैंकों और सहकारी क्षेत्र में इतना काम किया की एक मिसाल बन गई जो लोग पहले उन पर हंसते थे वह उन्हें बाद में पूजने लगे थे सहकारी मंत्री बनने के बाद मुलायम यादव ने अपने परिवार को भी अच्छे से संभाला और हर किसी को कुछ ना कुछ काम दे दिया था मुलायम सिंह यादव का जीवन परिचय
मुलायम सिंह यादव पर हमला
मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक जीवन में भी उनके परिवार ने भी उनका काफी सहयोग किया था एक दिन देश में बी पी सिंह सरकार के दौरान शादी से लौट रहे मुलायम सिंह यादव पर जानलेवा हमला हुआ अपनी सूझबूझ के कारण ही मुलायम यादव उस हमले से बच पाए थे उस समय मुलायम यादव अपने समर्थकों के साथ एक बार आप से लौट रहे थे तभी उनकी गाड़ी पर गोलियों की बारिश होने लगी मुलायम यादव उसी समय समझ गए थे कि उन्हें मारने की साजिश रची गई है उन्होंने अपनी जान के साथ-साथ अपने समर्थकों की जान बचाने की भी तुरंत योजना बनाई
उन्होंने अपने समर्थकों से कहा तुम जोर जोर से चिल्लाओ कि नेता जी मर गए नेता जी को गोली लग गई है नेताजी नहीं रहे जब सूखे नाले में उनके समर्थकों ने ऐसा करना शुरू किया तब हमलावरों को लगा कि मुलायम यादव सच में मर गए हैं अपने शिकार को मरा हुआ समझकर हमलावरों ने गोलियां बरसानी बंद कर दी थी मुलायम सिंह यादव के हमले का दोष बलराम सिंह विरोधी को लगा चौधरी चरण सिंह मुलायम यादव को बहुत मानते थे
यहां तक कि उन्होंने मुलायम यादव को अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था मुलायम सिंह को सुरक्षा दिलाने के लिए चौधरी चरण सिंह ने मुलायम को यूपी विधान परिषद में विपक्ष का नेता बना दिया था 1987 में विदेश से पढ़ाई करके लौटे चौधरी चरण सिंह के बेटे और मुलायम यादव के बीच के मतभेद के कारण लोकदल पार्टी टूट गई थी इसके बाद मुलायम ने जनता पार्टी के साथ दलों को मिलाकर एक क्रांति मोर्चा बनाया और यूपी की यात्रा पर निकल गए
इसके बाद यूपी में जनता दल का गठन हुआ और मुलायम इसके अध्यक्ष बने1989 का चुनाव मुलायम के नेतृत्व में लड़ा गया था 5 दिसंबर 1989 को मुलायम यादव यूपी के पहली बार मुख्यमंत्री बने थे 1991 में मुलायम सिंह की सरकार गिर गई बैसाखी के सहारे चल रहे मुलायम को अब अपनी खुद की पार्टी की जरूरत हुई थी
समाजवादी पार्टी की स्थापना
4 अक्टूबर 1992 में ‘बेगम हजरत महल पार्क’ में समाजवादी पार्टी की स्थापना की गई मायावती के गुरु काशी राम को साथ चुनाव लेकर लड़ने का दाव सही रहा और यूपी में गठबंधन की सरकार रही 6 दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद गिराई गई थी यूपी में बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह की सरकार गिर गई डेढ़ साल के राष्ट्रपति शासन के बाद विधानसभा चुनाव हुए तुम मुलायम सिंह ने कांशीराम के साथ दलित वोटों का समझौता किया और काशीराम को इटावा से संसद भिजवा कर सपा और बसपा की मिली जुली सरकार बना दी इस बार मुलायम सिंह दूसरी बार सीएम बने थे
और यहां से शुरू हुई उत्तर प्रदेश में एक नई सियासत 1995 में मीराबाई गेस्ट हाउस में मायावती के विधायकों को किडनैप करने की कोशिश की गई थी और कहा जाता है कि मायावती के कपड़े भी फाड़ दिए गए थे इसके बाद मुलायम यादव और मायावती बनर्जी में सियासी दुश्मनी शुरू हो गई इसके बाद मायावती सत्ता में आ गई और यूपी से मुलायम की सरकार फिसल गई लेकिन मुलायम ने फिर भी हार नहीं मानी थी
मायावती बीजेपी के समर्थन से यूपी पर राज कर रही थी लेकिन 2003 में मुलायम और अमर की जोड़ी ने बड़ी सियासी चाल चली खुद बीजेपी के करीब हुए और बीजेपी के समर्थन से चल रही यूपी सरकार को गिर जाने दिया मुलायम सिंह ने बीजेपी के अप्रत्यक्ष सहयोग से 2003 से 2007 तक यूपी पर राज किया
मुलायम सिंह यादव की मृत्यु
ब्लड प्रेशर की समस्या और सांस लेने में तकलीफ के चलते कुछ दिन पहले मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था 10 अक्टूबर 2022 को 82 साल की उम्र में मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है
मुलायम सिंह यादव का जीवन परिचय