केशव चंद्र सेन का जीवन परिचय ,केशव चंद्र सेन का जन्म ,ब्रह्मसमाज की स्थापना,भारतीय सुधार संस्था की स्थापना ,केशव चंद्र सेन की मृत्यु
केशव चंद्र सेन का जीवन परिचय
बंगाल के एक प्रमुख धार्मिक एवं समाज सुधारक के रूप में केशव चंद्र सेन का नाम लिया जाता है इन्होंने भारतीय ब्रह्म समाज की स्थापना की थी इनके गुरु ने इन्हें ब्रह्मानंद की संज्ञा दी हालांकि स्वामी दयानंद सरस्वती से इनका वैचारिक मतभेद भी माना जाता है
इन्होंने कई यूरोपीय देशों की यात्रा भी की थी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के माध्यम से भारतीय समाज में सुधारों की नींव रखने वाले केशव चंद्र सेन का एक बड़ा योगदान बालिकाओं की विवाह आयु बढ़ाने वाले कानून निर्माण में भी रहा इन्हीं के प्रयासों के चलते 1872 में एक कानून अस्तित्व में आया केशव चंद्र सेन का जीवन परिचय
केशव चंद्र सेन का जन्म
केशव चंद्र सेन का जन्म 19 नवंबर 1838 को कोलकाता में हुआ था इनके पिता जी का नाम प्यारे मोहन था अपने जीवन के प्रारंभिक दिनों से ही वे एक मेधावी छात्र थे उन्होंने कलकत्ता के हिंदू कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की तथा कॉलेज के सभी क्रियाकलापों में विशेष रूचि लेते रहे जिसके चलते वह पढ़ाई के साथ-साथ रंगमंच के एक नायक के रूप में प्रसिद्ध हुए बाल्यावस्था से केशवचंद्र का उच्च आध्यात्मिक जीवन था
महर्षि ने उचित ही उन्हें ‘ब्रह्मानंद’ की संज्ञा दी तथा उन्हें समाज का आचार्य बनायाकेशव चंद्र सेन को विश्वास था कि सामाजिक परिवर्तन केवल धार्मिक पुनरुत्थान के द्वारा लाया जा सकता है उनके अनुसार सभी सुधार पूर्ण आंदोलनों के मूल में धर्म को स्थापित करना चाहिए इसी उद्देश्य को सार्थक करने के लिए वे 1857 में ब्रह्म समाज में सम्मिलित हुए थे
और कुछ दिनों बाद उनका सबसे महान कदम जो उन्होंने उठाया था वह था ‘मूर्ति पूजा का विरोध’धार्मिक रूपांतरण तथा प्रार्थना को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने 1860 में संगत सभा की स्थापना की देवेंद्र नाथ टैगोर जो कि ब्रह्मसमाज में केशव चंद्र सेन से वरिष्ठ थे इन्होंने के शव को “ब्रह्मानंद” नामक उपाधि से विभूषित किया केशव चंद्र सेन ने इस तरह की शिक्षा का घोर विरोध किया
जिसके अंतर्गत धर्म व ईश्वर को केंद्रीभूत रूप से उपेक्षित किया गया केशव चंद्र के आकर्षक व्यक्तित्व ने ब्रह्म समाज आंदोलन को स्फूर्ति प्रदान की उन्होंने भारत के शैक्षिक सामाजिक तथा आध्यात्मिक पुनर्जन्म में चिरस्थाई योग दिया केशव के अग्रगामी दृष्टिकोण एवं क्रियाकलापों के साथ साथ चलना देवेंद्र नाथ के लिए कठिन था केशव चंद्र सेन का जीवन परिचय
ब्रह्मसमाज की स्थापना
1866 में केशव चंद्र ने भारतवर्षीय ब्रह्मसमाज की स्थापना की इस पर देवेंद्र नाथ ने अपने समाज का नाम आदि ब्रह्म समाज रख दिया केशव चंद्र सेन पर जिस विचारधारा का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा था वह ब्रह्मसमाज विचारधारा थी इस विचारधारा से केशव चंद्रसेन को प्रभावित करने वाली राजनारायण बसु द्वारा लिखित पुस्तक ब्रह्मवाद क्या है, रही है इस पुस्तक के अध्ययन से ही केशव चंद्र सेन को पता चला कि ब्रह्म समाज एक ऐसी संस्था है जिसका उद्देश्य भारतीयों की आध्यात्मिक सामाजिक उन्नति करना है
समाज सेवा करने को लालायित केशव चंद्र सेन को एक दिशा मिली और वे तत्काल ब्रह्म समाज के सदस्य बन गए केशव चंद्र सेन महान समाज सुधारक थे वे हिंदू समाज के पुनर्निर्माण के समर्थक थे हिंदू समाज के अंधविश्वास तथा कुरीतियों के जबरदस्त विरोधी थे बाइबल का अध्ययन करते हुए उन्होंने पाप एवं प्रायश्चित के स्वरूप को हिंदू धर्म में शामिल करना चाहा स्त्रियों की शिक्षा के प्रति उनके विचार काफी उदार थे
मूर्ति पूजा बहुदेव पूजा और ब्राह्मणों के प्रभुत्व के कट्टर विरोधी थे ब्रिटिश शासन के प्रति उनका विचार था कि हिंदू समाज के पतन के कारण यह शासन आगे बढ़ा है वह ब्रिटिश शासन को देवी इच्छा तथा स्वभाविक घटना मानते थे इसके साथ ही वे स्वतंत्रता के जन्मजात प्रेमी थे गुलामी को पाप मानते थे स्वतंत्रता का अर्थ मनमानी नहीं मानते थे
भारतीय सुधार संस्था की स्थापना
केशव चंद्र सेन ने 1868 में ब्रह्म मंदिर की स्थापना की जिसका लक्ष्य था सभी धार्मिक पद्धतियों का आदर करना तथा पूर्व स्थापित ब्रह्मसमाज के सिद्धांतों से प्रगति करना केशव चंद्र सेन के अनुसार हिंदू समाज का मुख्य रूप से मूर्तिपूजक तथा जाति प्रथा को बढ़ावा देना था 1870 में इंग्लैंड से वापस आने के बाद इन्होंने भारतीय सुधार संस्था की स्थापना की संस्था के कार्यों को सुचारु रुप से संचालन व सहायता के लिए इन्होंने सुलभ समाचार पत्र तथा संडे मिरर का संपादन किया था
1861 में भारतीय दर्पण का संपादन शुरू किया भारतीय दर्पण एक दैनिक समाचार पत्र था इसके साथ ही इन्होंने नॉर्मल स्कूल फॉर नेटिव, सोसायटी फॉर द बेनिफिट ऑफ वूमेन तथा औद्योगिक स्कूल आदि का भी संचालन किया था
केशव चंद्र सेन जो कि शुरू से ही सदैव इस सुधार के प्रति लोगों से आग्रह करते रहे जैसे बाल विवाह बंद हो, विधवा पुनर्विवाह को महत्व दो तथा बहू पत्नी प्रथा को समाप्त करो आदि उनका यह सपना 1872 में साकार हो पाया जब सरकार ने नेटिव मैरिज एक्ट लागू किया तब उनका सपना पूरा हो पाया इन्होंने 1875 में विश्व धर्म की स्थापना की थी इसके बाद 1878 में इन्होंने साधारण ब्रह्म समाज की स्थापना भी की थी केशव चंद्र सेन का जीवन परिचय
केशव चंद्र सेन की मृत्यु
8 जनवरी 1884 को कोलकाता में इनका निधन हो गया था जाति वर्ग अंधविश्वास एवं रूढ़ियों से मुक्त एक आदर्श समाज का सपना देखने वाले केशव चंद्र सेन राष्ट्रवादी होने के साथ-साथ समाज सुधारक के रूप में भी याद किए जाते रहेंगे वे मानवतावादी सोच के पक्षधर और पश्चिमी सभ्यता के मूल आदर्शों की वकालत करने वालों के रूप में भी याद किए जाएंगे
केशव चंद्र सेन का जीवन परिचय