करतार सिंह सराभा का जीवन परिचय,करतार सिंह सराभा का जन्म,करतार सिंह द्वारा गदर गठन की स्थापना,अंग्रेजो के खिलाफ भारतीयों को एकजुट किया,करतार सिंह सराभा की मृत्यु

करतार सिंह सराभा का जीवन परिचय 

करतार सिंह एक ऐसे महान क्रांतिकारी थे जिन्होंने देश के लिए मात्र 19 साल की उम्र में फांसी के फंदे को चूम लिया था, एक ऐसा क्रांतिकारी जिसे शहीद- ए -आजम भगत सिंह अपना गुरु मानते थे और जिनकी तस्वीर हमेशा अपने पास रखते थे करतार सिंह सराभा का जीवन परिचय

करतार सिंह सराभा का जन्म

गुलाम भारत का समय था 1857 की क्रांति को समाप्त हुए 39 साल हो चुके थे लेकिन उसकी ज्वाला अभी तक लोगों के मन में जल रही थी देश अंग्रेजों के अत्याचारों के तले दबा हुआ था और उनकी आजादी के लिए अलग-अलग तरीकों से लड़ाई लड़ी जा रही थी पंजाब भी इससे अछूता नहीं था

इस समय तक स्वतंत्रता के बाद भारत की सबसे बड़ी पार्टी बनने वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना भी हो चुकी थी ऐसे समय में 24 मई 1896 को पंजाब के लुधियाना जिले के “सर्राफा” गांव में एक क्रांतिकारी का जन्म हुआ नाम करतार सिंह सराभा था इनके पिता “मंगल सिंह” और माता “साहिबा कौर” करतार को पाकर फूले नहीं समा रहे थे धीरे-धीरे करतार बड़े हो रहे थे सब कुछ ठीक चल रहा था कि इनके जन्म के 8 साल बाद इनके पिता मंगल सिंह की मौत हो गई

पिता की मौत के बाद घर में हालात दयनीय हो गए और दादा बदन सिंह ने इनको संभाला था अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से प्राप्त करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए करतार सिंह ने मालवा खालसा हाई स्कूल लुधियाना में एडमिशन ले लिया यहां से पढ़ाई करने के बाद इन्हें आगे की पढ़ाई के लिए उड़ीसा भेज दिया गया जहां इन्होंने हाई स्कूल की शिक्षा ग्रहण की थी अब तक करतार 16 साल के हो चुके थे और वह डॉक्टर बनना चाहते हैं लिहाजा उन्होंने विदेश जाना उचित समझा

जुलाई 1912 को करतार सिंह सराभा उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका के सेंट फ्रांसिस को चले गए यहां उन्होंने बर्कले में कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया और केमिस्ट्री में डिग्री के लिए नामांकन करा लिया इन्हीं दिनों उन्होंने बर्कले में भारतीय छात्रों के एक नालंदा क्लब को ज्वाइन कर लिया यहीं से इनके अंदर देशभक्ति की भावना को जागृत करने का मौका मिला करतार सिंह सराभा का जीवन परिचय

करतार सिंह द्वारा गदर गठन की स्थापना 

23 अप्रैल 1913 को एस्टोरिया ऑर्गन में कुछ प्रवासी भारतीय क्रांतिकारियों द्वारा भारत को आजाद कराने के प्रमुख उद्देश्य के साथ “हिंदुस्तान एसोसिएशन ऑफ पेसिफिक कोस्ट” का गठन किया गया इस संगठन के मुखिया सोहन सिंह भाकना थे इस संगठन की अहम जिम्मेदारियां लाला हरदयाल और लाला ठाकुर लाल दूरी जैसे लोगों को दी गई एक बार लाला हरदयाल फ्रांसिस्को में किसी सभा को संबोधित कर रहे थे उस सभा में करतार सिंह सराभा भी मौजूद थे

जो उनके क्रांतिकारी विचारों से काफी प्रभावित हुए और बाद में करतार ने हरदयाल से मुलाकात की यहीं से करतार इस संगठन में शामिल हो गए संगठन द्वारा अंग्रेजो के खिलाफ क्रांतिकारी विचारों को फैलाने के लिए एक पत्रिका छापी जाती थी जिसका नाम ग़दर रखा गया 1 नवंबर 1913 को ग़दर का पहला प्रकाशन उर्दू भाषा में किया गया

इसके बाद पत्रिका का और विस्तार किया गया और उसको गुरुमुखी, गुजराती, बंगाली, नेपाली और पश्तो भाषा में छापा गया इसके पंजाबी संस्करण की जिम्मेदारी करतार सिंह को दी गई थी यही से करतार सिंह पूरी तरह से क्रांतिकारी बन गए इन्होंने अपने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी और ग़दर के द्वारा क्रांति फैलाने में लग गए पत्रिका को अप्रत्याशित समर्थन मिला और अब इस संगठन को “गदर पार्टी” के नाम से जाना जाने लगा कम मजदूरी दर पर काम करने की भारतीयों की आदत की वजह से तमाम फार्म और बागान मालिक गौरो की बजाय भारतीयों को लाने लगे थे

इस वजह से गोरे मजदूरों में भारतीय नागरिकों के प्रति नफरत पनपने लगी और आए दिन भारतीय मजदूरों के साथ हिंसक घटनाएं होने लगी भारतीय प्रवासियों की कॉलोनियों को उजाड़ दिया जाता था उनके साथ मारपीट की जाती थी यहां तक कि कई लोगों की इस हिंसा में मौत भी हो गईऐसे में करतार अमेरिका आ रहे भारतीय प्रवासियों के साथ किए जा रहे इस बर्ताव को लेकर बहुत दुखी थे करतार सिंह सराभा का जीवन परिचय

अंग्रेजो के खिलाफ भारतीयों को एकजुट किया

जब इन लोगों ने भारतीयों के साथ अत्याचार के विषय में सोचा तो यही बात सामने आई कि हिंदुस्तान की गुलामी इस अत्याचार की जड़ है इसलिए भारत को आजाद कराना ही इनका लक्ष्य बन गया इस तरह गदर ने अपने क्रांतिकारी विचारों से अमेरिका में रह रहे भारतीय मजदूरों और किसानों को एकजुट किया और उनके बीच क्रांति की आग जलाई गदर पार्टी की स्थापना का विचार अंग्रेजों के विरुद्ध हथियार उठाकर भारत को आजाद कराना था गदर पार्टी ने 21 अप्रैल 1913 को ऑस्ट्रेलिया की एक आरा मिल में प्रस्ताव पारित कर कहा कि गदर पार्टी हथियारबंद इंकलाब की मदद से भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराएगी

इसके बाद जल्दी ही प्रथम विश्वयुद्ध छिड़ गया और अंग्रेजों की खराब होती हालत को देखकर क्रांतिकारी उनकी कमजोरी का फायदा उठाना चाहते थे ऐसे में 5 अगस्त 1914 को अंग्रेजो के खिलाफ आवाज बुलंद की गई और लगभग 6000 क्रांतिकारी अपना झंडा उठाकर एकजुट हुए और हथियार, गोला, बारूद खरीदकर क्रांति के केंद्र भारत की ओर निकल पड़े हालांकि कैसे भी एक खबर अंग्रेजों को लग गई और उन्होंने इस गदर को दबाने के प्रयास शुरू कर दिए

इसी बीच कई क्रांतिकारियों को भारत पहुंचने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन करतार अंग्रेजों की पकड़ से दूर रहें और भारत पहुंचने में कामयाब हो गए अब यह कोलकाता पहुंचकर अपनी योजना को विस्तार देने लगे यही करतार सिंह सराभा ने बंगाल के क्रांतिकारियों से मुलाकात की और फिर इनकी मुलाकात वाराणसी में “राजबिहारी बोस” से हुई उन्होंने 20000 ग़दर क्रांतिकारियों के आने की सूचना दी और क्रांति की योजना बनाने लगे यह खबर अंग्रेजों को लग गई और उन्होंने क्रांतिकारियों को पकड़ने का अभियान छेड़ दिया

करतार सिंह सराभा अंग्रेजों की पहुंच से दूर थे इन्होंने अंग्रेजों की सेना में काम कर रहे भारतीयों को एकजुट करना शुरू कर दिया करतार एक पूरी हथियारबंद भारतीय सेना अंग्रेजों से मुकाबले के लिए खड़ी करना चाहते थे इसलिए उन्होंने आगरा, वाराणसी,मेरठ, इलाहाबाद, अंबाला, लाहौर और रावलपिंडी कैंट में भारतीय सैनिकों को अपने अभियान से जोड़ना प्रारंभ कर दिया और मियांपुर छावनी पर हमले की योजना तैयार थी

करतार सिंह सराभा की मृत्यु

 21 फरवरी 1915 को क्रांति का दिन चुना गया वही अंबाला में सैन्य विद्रोह होना था हालांकि दुर्भाग्य से 15 फरवरी को इस योजना का भंडाफोड़ हो गया और अंग्रेज सरकार ने सभी क्रांतिकारियों के नाम गिरफ्तारी के आदेश जारी कर दिए रासबिहारी बोस जापान भाग गए और बाकी साथी भी भूमिगत हो गए

लेकिन करतार सिंह हार मानने वालों में से नहीं थे इससे पहले कि करतार कोई योजना बना पाते उन्हें गिरफ्तार कर लिया लाहौर की एक अदालत में करतार सिंह पर विद्रोह के लिए उकसाने और देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया और आखिर में 16 नवंबर 1915 को 19 साल की छोटी सी उम्र में इन्हें फांसी पर लटका दिया गया

इसके साथ ही भारत की आजादी के लिए एक युवा हमेशा के लिए दुनिया से चला गया करतार सिंह वह भारतीय क्रांतिकारी है जिन्हें आज भी बहुत कम लोग जानते हैं हालांकि देश की आजादी की बात जब भी की जाती है तो उसमें करतार सिंह का नाम जरूर लिया जाता है

करतार सिंह सराभा का जीवन परिचय