के जी सुब्रमण्यम का जीवन परिचय ,सुब्रमण्यम की चित्रकारी  ,सुब्रमण्यम की रचनाएं ,सुब्रमण्यम को प्राप्त पुरस्कार ,सुब्रमण्यम की मृत्यु 

के.जी. सुब्रमण्यम का जीवन परिचय 

के.जी. सुब्रमण्यम का जन्म 15 फरवरी 1924 को केरल के पालघाट में एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था इनका पूरा नाम कलपति गणपति  सुब्रमण्यम  था सुब्रमण्यम की प्रारंभिक शिक्षा चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक किया था  केरल से मद्रास चले गए और फिर वहां से बंगाल गए ब्रिटिश शासन के दौरान सरकारी कॉलेजों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया एक कलाकार के रूप में उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ तब आया

जब वे वर्ष 1944 में विश्व भारती विश्वविद्यालय के कला संकाय कला भवन में अध्ययन करने के लिए शांति निकेतन गए नंदलाल बोस, रामकिंकर बैज तथा विनोद बिहारी मुखर्जी जैसे आधुनिक भारतीय कला के अग्रदूतों के सरंक्षण में  सुब्रमण्यम  ने 1948 तक वहां अध्ययन किया

इसके बाद 1951 में वे बड़ौदा में एम. एस. विश्वविद्यालय में ललित कला संकाय में व्याख्याता बने इसके बाद वे 1955 में ब्रिटिश काउंसिल के विद्वान के रूप में “स्लेड स्कूल ऑफ आर्ट” में लंदन में कुछ समय के लिए अध्ययन करने गए 1966 में रॉक फेलर छात्रवृत्ति पर वे अमेरिका गए 1969 में हैदराबाद के प्रसिद्ध कलाकार लक्ष्मण गौड़ के साथ नई दिल्ली के गांधी ‘दर्शन म्यूरल’ में उनके सहयोगी रहे के जी सुब्रमण्यम का जीवन परिचय 

सुब्रमण्यम की चित्रकारी  

वर्ष 1962 में लखनऊ स्थित रविंद्रालय में 81 फीट लंबे और 5 फुट ऊंचे 13हजार कोटा टाइल्स की सहायता से “द किंग ऑफ डार्क चेंबर” प्रसिद्ध म्यूरल बनाया के.जी. सुब्रमण्यम एक और पश्चिम के आधुनिक कलाकारों से प्रभावित थे तो दूसरी ओर लोक कलाकारों और शिल्पीओ का प्रभाव उनकी कला पर देखा जा सकता है 1966 – 67 के दौरान उन्होंने कई अमूर्त चित्र बनाएं

इसके बाद 1979 में सुब्रमण्यम ने ग्लास पेंटिंग श्रंखला में बाजार कला पर अपनी एक अलग दुनिया चित्रित की थी सुब्रमण्यम पेंटिंग में प्रोफेसर के रूप में अपनी मातृ संस्था कला भवन विश्व भारती विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए शांतिनिकेतन वापस चले गए जिसे उन्होंने 1989 में सेवानिवृत्त होने तक जारी रखा वर्ष 2002 में सुब्रमण्यम ने ‘इनेमल ऑन आयरन शीट” माध्यम में कमरे के भीतर बैठी आकृतियों को चित्रित किया प्रसिद्ध चित्रकार सुब्रमण्यम ने सांप्रदायिक स्थितियों को अपने चित्रों में बड़ी गंभीरता से चित्रित किया है उन्होंने कुर्सी के विविध चित्र बनाए हैं

सुब्रमण्यम भारतीय मूर्तिकार और चित्रकार थे वह भारतीय आधुनिक कला के प्रणेताओं में शामिल रहे थे इन्होंने आधुनिक शैली में चित्रांकन करना आरंभ किया अपने चित्रों में उन्होंने घनवादी समितियां ढांचे को प्रमुखता दी है सुब्रमण्यम एक अच्छा मूर्तिकार और चित्रकार भी हैं सुब्रमण्यम  टेक्सटाइल में दवी आयामी डिजाइन बनाने में निपुण थे हैंडलूम बोर्ड के डिजाइन विभाग के अध्यक्ष रहकर उन्होंने भारतीय डिजाइनों के स्वरूप और स्वभाव को समझ लिया था उन्होंने चिकने धरातलओ वाले डिजाइनो में ऊपर से सूलिपि का भी प्रयोग किया है

उन्होंने चमकदार रंग लगाए हैं विभिन्न प्रभाव उत्पन्न करने के लिए उन्होंने रेत, बालू, संगमरमर का चूर्ण आदि का भी प्रयोग किया है वह प्रत्येक आकृति के अनेक छोटे-छोटे भाग करके उन में उलझे डिजाइन अंकित करते थे इन्होंने कैनवास के अतिरिक्त शीशे पर भी पेंटिंग की है 1978 में इनकी एक पुस्तक “मूविंग फोकस” प्रकाशित हुई जो बहुत ही चर्चित रही के जी सुब्रमण्यम का जीवन परिचय 

सुब्रमण्यम की रचनाएं 

सुब्रमण्यम ने समाज की विसंगतियों पर तीखा व्यंग्य प्रहार किया है चाहे वह “ताज पर बेला वादन” हो ‘शिव पार्वती’, ‘बनारस’, ‘राधा रानी’ हो या  स्वतंत्रता उसे रापल्ली परियों की कहानियों को एक्रिलिक शीट पर रिवर्स पेंटिंग तकनीक की सहायता से बनाया है इनकी प्रमुख रचनाएं हैं-मूविंग फोकस ‘भारतीय कला पर निबंध’द लिविंग ट्रेडीशन, क्रिएटिव स्क्रिप्ट, द मैजिक ऑफ मेकिंग

इन्होंने 1955 से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नई, शांतिनिकेतन, वडोदरा ,न्यूयॉर्क, ऑक्सफोर्ड में अपने चित्रों के 40 से अधिक एकल प्रदर्शनीया की है इन्होंने बड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनीयो में भी भाग लिया है

जैसे बेल्जियम में इंडियन आर्ट प्रदर्शनी 1966,जापान में एशियाई कलाकारों की प्रदर्शनी 1979-80,इंडियन आर्ट वॉशिंगटन डीसी, यूएसए 1980, एग्जीबिशन एंड फेस्टिवल ऑफ इंडिया, लंदन 1982 इंडियन आर्ट फ्रॉम द कलेक्शन ऑफ चेस्ट एंड डेविड फैमिली फेस्टिवल ऑफ इंडिया, जापान,ब्राजील, टोक्यो, क्यूबा में भी भाग लिया है ऑस्ट्रेलिया तथा मेक्सिको में इन्होंने भारत प्रतिनिधित्व किया 1982 में इन्होंने चीन की यात्रा भी की थी के जी सुब्रमण्यम का जीवन परिचय 

सुब्रमण्यम को प्राप्त पुरस्कार 

1957 से 1959 तक इन्हें बॉम्बे आर्ट सोसायटी के पुरस्कार मिले 1961 में इन्होंने महाराष्ट्र राज्य में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया इसी वर्ष ब्राजील में इन्हें विशिष्ट सम्मान से विभूषित किया गया इसके बाद 1965 में ललित कला अकादमी के रतन सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए

1982 में भारत भवन के उद्घाटन के अवसर पर 13 फरवरी की श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा इन्हें कालिदास पुरस्कार से सम्मानित किया गया था वर्ष 2012 में “पदम विभूषण” और 2006 में “पदम भूषण” तथा 1975 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था

  ललित कला अकादमी  का सर्वोच्च सम्मान ‘रतन सदस्यता’ 1982 में दी गई इसके बाद विश्व भारती द्वारा ‘अबन गगन’ पुरस्कार दिया गया 1992 में रविंद्र भारती विश्वविद्यालय कोलकाता ने एवं 1997 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी ने इन्हें डी. लिट. की उपाधि प्रदान की थी के जी सुब्रमण्यम का जीवन परिचय 

सुब्रमण्यम की मृत्यु 

सुब्रमण्यम का 29 जून 2016 में  बड़ोदरा, गुजरात में निधन हो गया था

के जी सुब्रमण्यम का जीवन परिचय