ज्वाला जी मंदिर का इतिहास , ज्वाला जी मंदिर का निर्माण , मां ज्वाला का चमत्कार , मां ज्वाला जी की परीक्षा , ज्वाला जी की नो जोतो का रहस्य,
ज्वाला जी मंदिर का निर्माण
ज्वाला जी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है जवालाजी मंदिर एकमात्र मंदिर है ,जहां ज्वाला देवी की पूजा प्राकृतिक ज्योति रूप में की जाती है यह मंदिर अपने आप में अनूठा है क्योंकि यहां पर किसी देवी की पूजा नहीं होती बल्कि प्राकृतिक रूप से हजारों सालों से जल रही नो जोतो की पूजा होती है
कई वैज्ञानिकों ने इन ज्वालाओ के स्रोत को खोजने के लिए प्रयास किया परंतु वह असफल रहे ज्वाला जी मंदिर का निर्माण राजा भूमि चंद ने करवाया था राजा भूमि चंद मां ज्वाला के अनन्य भक्त थे उनको देवी मां पर अटूट विश्वास था
एक बार राजा भूमि चंद को मां ज्वाला ने सपने में दर्शन दिए और उन्हें आदेश दिया कि इस स्थान पर मेरे मंदिर का निर्माण करवाया जाए इसके बाद राजा भूमि चंद ने अपने सैनिकों को इस जगह की खोज करने के लिए भेजा जब यह जगह मिली तब राजा भूमि चंद ने यहां पर मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ करवाया बाद में राजा रणजीत सिंह ने इस मंदिर के निर्माण कार्य को पूरा करवाया था
कहा जाता है कि मंदिर के गर्भ गृह में लगी हुई कांच की छत राजा रणजीत सिंह ने ही बनवाई थी और साथ ही मंदिर के मुख्य गर्भ गृह में लगे हुए चांदी के दरवाजे उनके सुपुत्र ने मंदिर को भेंट किए थे इस मंदिर की खोज का श्रेय पांडवों को जाता है जो अपने जीवन काल में एक बार यहां ज्वाला जी के दर्शन करने के लिए आए थे मंदिर के मुख्य प्रांगण में ही नेपाल के राजा द्वारा भेंट किया गया विशालकाय घंटा भी लगाया गया है
मां ज्वाला का चमत्कार
एक बार जवाला जी के अनन्य भगत धानू भगत अपने 1000 सैनिकों के साथ मां के दर्शन के लिए जा रहे थे जब यह काफिला दिल्ली से गुजरात तक बादशाह अकबर के सैनिकों ने इस काफिले को रोक लिया और उनको पकड़ कर बादशाह अकबर के दरबार में पेश किया जब अकबर ने जानू भक्तों पूछा कि आप इतने सारे लोगों को लेकर कहां जा रहे हैं तब उन्होंने जवाब दिया कि हम सारे ही ज्वालाजी माई के भक्त हैं और हम उनके दर्शन के लिए ज्वाला जी मंदिर में जा रहे हैं त
ब ध्यानू भक्त को नीचा दिखाने की गरज से अकबर ने पूछा कि तुम्हारी मां क्या कर सकती है धानु भक्त ने जवाब दिया मेरी माई दुनिया का पालन पोषण करने वाली है ,वह सर्वशक्तिमान है वह सब कुछ कर सकती है इसके बाद अकबर ने धनु भगत की कही हुई बात को परखने के लिए कहा कि हम ऐसा करते हैं कि तुम्हारे घोड़े का गला कटवा देते हैं तुम अपनी मां के पास जा रहे हो और उनसे कह कर अपने घोड़े को जिंदा करवा लेना
इसके बाद अकबर के आदेश के अनुसार धानू भगत के घोड़े का गला वही कटवा दिया गया लेकिन धानू भगत को अपनी माई पर बहुत विश्वास था उन्होंने अकबर से एक विनती की जब तक मैं वापस नहीं आऊं तब तक मेरे घोड़े कि धड़ और सिर को संभाल कर रखना इसके बाद अकबर ने धानू भगत की यह बात मान ली और अकबर के सैनिकों ने धानू भगत के घोड़े का सिर और धड़ एक जगह पर सुरक्षित रख दिया
इसके बाद धानू भगत ने अपने काफिले के साथ मां ज्वाला की यात्रा आरंभ की ज्वाला जी मंदिर पहुंचकर धानू भगत ने सभी भक्तों के साथ मिलकर पूरी रात जागरण किया सुबह आरती के समय उन्होंने मां ज्वाला से हाथ जोड़कर विनती की, हे मां आप सब कुछ जानती हो और अपने भक्तों की लाज रखो और अपनी शक्ति का कोई प्रमाण दो इसके बाद भी मां ज्वाला ने ध्यानु भगत को दर्शन नहीं दिए
इस बात से धनु भगत इतना नाराज हुए कि उन्होंने अपनी ही तलवार से अपनी गर्दन काटकर मां ज्वाला के चरणों में अर्पित कर दी इससे मां ज्वाला इतनी प्रसन्न हुई कि उन्होंने ध्यानु भगत को साक्षात दर्शन दिए इसके बाद मां ज्वाला की कृपा से धनु भगत का दिल्ली में रखा हुआ घोड़े का सिर और धड़ अपने आप जुड़ गया घोड़ा जीवित हो गया यह देखकर अकबर बहुत ही हैरान हुआ और उसे मां की शक्ति का अहसास हुआ | ज्वाला जी मंदिर का इतिहास |
मां ज्वाला जी की परीक्षा
माना जाता है कि अकबर दिल्ली से नंगे पांव सोने का छत्र लेकर मां ज्वाला जी के दर्शन के लिए आया था लेकिन मंदिर पहुंचने के बाद अकबर के मन में एक बार फिर से शंका पैदा हो गई और उन्होंने वहां जल रही जोतो को देखकर अपने सैनिकों से कहा इन जूतों को लोहे के बड़े बड़े तवों से ढक दो इसके बाद अकबर के सैनिकों ने बादशाह के आदेश के अनुसार वैसा ही किया लेकिन वह सारे तवे विस्फोट के साथ फट गए और मां ज्वाला की ज्योति लगातार पहले की तरह जलती रही
इस बात से नाराज होकर अकबर ने अपने सैनिकों को आदेश दिया के पास में बह रही एक नहर का मुंह मंदिर की ओर कर दे ऐसी व्यवस्था करें कि नहर का सारा पानी मंदिर के प्रांगण में आए इसके बाद सैनिकों ने वैसा ही किया मंदिर का पूरा प्रांगण पानी से भर गया लेकिन जोते फिर भी लगातार जलती रही अब अकबर को मां की शक्ति का एहसास हो गया था
इसके बाद अकबर ने मां के चरणों में अपना शीश झुकाया और जो वह सोने का छत्र दिल्ली से लेकर आया था उसको अर्पित किया लेकिन मां ज्वाला अकबर से बहुत ही नाराज थी और इसलिए जब अकबर ने वह छत्र चढ़ाया तो वह छत्र नीचे गिरा और गिरते ही वह सोने का छत्र एक अनजानी धातु में बदल गया आज भी वह छत्र ज्वाला जी के मंदिर में रखा हुआ है देश-विदेश की कई संस्थाएं इस छत्र के धातु के टुकड़े को रिसर्च के लिए ले जा चुकी है लेकिन आज तक कोई भी संस्था यह नहीं बता पाई कि यह छत्र किस धातु में परिवर्तित हुआ है | ज्वाला जी मंदिर का इतिहास |
ज्वाला जी की नो जोतो का रहस्य
जब इस मंदिर में जाते हैं तो इस मंदिर की थोड़ी ही ऊंचाई पर एक गोरख डिब्बी नाम का मंदिर भी स्थित है इस मंदिर में एक जवाला पानी के अंदर लगातार जल रही है हैरानी की बात यह है कि नहीं तो कभी जवाला बुझती है और ना ही कभी पानी गर्म होता है इसी पानी का छींटा पुजारी जी भक्तों के ऊपर मारते हैं गोरख डिब्बी व स्थान जहां गोरखनाथ जी तपस्या किया करते थे इस स्थान को सिद्ध स्थान माना जाता है
1.मां ज्वाला जी के मंदिर में जल रही प्राकृतिक जवालाओ में पहली ज्वाला मां काली की मानी जाती है मां का यह स्वरूप भक्तों को सुख और निर्भरता प्रदान करता है और साथ ही सारे कष्टों से उनकी रक्षा भी करता है
2.मंदिर में प्राकृतिक रूप से जलने वाली ज्वालाओ में दूसरी ज्वाला मां अन्नपूर्णा की मानी जाती है मां की कृपा यदि भक्तों पर रहे तो उनके अन्न के भंडार हमेशा भरे रहते हैं
3.ज्वाला जी मंदिर में जलने वाली तीसरी ज्योति मां चंडी की है जो अपने भक्तों के शत्रुओं का विनाश करने वाली है
4.मंदिर के गर्भ से प्रकट हुई चौथी ज्वाला मां हिंगलाज भवानी की मानी जाती है मां भवानी का यह रूप भक्तों की सभी समस्याओं को दूर करता है
5.मां विंध्यवासिनी इस मंदिर में पांचवी ज्योति के रूप में विराजमान है मां विंध्यवासिनी की आराधना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है
6.ज्वाला मंदिर में जलने वाली छटी ज्योति मां लक्ष्मी का रूप मानी गई है इनकी आराधना करने से जीवन में धन-धान्य और सुख समृद्धि बनी रहती है
7.ज्वाला जी मंदिर में सातवी ज्योति के रूप में मां सरस्वती की आराधना की जाती है मां सरस्वती की कृपा से हमें विद्या धन की प्राप्ति होती है
8.ज्वाला जी मंदिर में जलने वाली आठवीं ज्योति मां अंबिका की है जो सुख समृद्धि और सुख शांति देने वाली है
9.ज्वाला जी मंदिर में जल रही नवमी ज्योति मां अंजनी की है मां अंजना की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है
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