हिमोग्लोबिन से जुड़ी जानकारी,हीमोग्लोबिन कम होने के कारण, हीमोग्लोबिन कम होने का कारण, लक्षण और उपचार,हीमोग्लोबिन कम होने से क्या होता है

हिमोग्लोबिन से जुड़ी जानकारी

हिमोग्लोबिन एक तरह का प्रोटीन है हमारे रक्त में लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं जिन्हें हम RBC भी कहते हैं इन्हीं लाल रक्त कोशिकाओं के अंदर हीमोग्लोबिन होता है हिमोग्लोबिन के कारण ही हमारे खून का रंग लाल होता है हिमोग्लोबिन का मुख्य कार्य फेफड़ों से ऑक्सीजन को शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचाना और वहां से कार्बन डाइऑक्साइड लेकर उसे वापस फेफड़ों तक पहुंचाना होता है

एक सामान्य और स्वस्थ पुरुष में हीमोग्लोबिन का औसत स्तर 13.5 से 17.5 ग्राम प्रति डेसिलीटर होता है वही एक स्वस्थ महिला में हीमोग्लोबिन का औसत स्तर 12.0 से 15.5 ग्राम प्रति डेसिलीटर होता है डॉक्टर आमतौर पर 40 साल की उम्र के बाद साल में एक बार जांच की सलाह देते हैं कंपलीट ब्लड काउंट CBC ब्लड टेस्ट की मदद से रक्त में हीमोग्लोबिन व लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या आकार और प्रकार की जांच की जाती है

इसी प्रकार हेमाटोक्रिट नामक टेस्ट के जरिए RBC के प्रतिशत का आकलन किया जाता है हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से नीचे होना एनीमिया कहलाता है हिमोग्लोबिन 6 ग्राम प्रति डेसिलीटर से नीचे पहुंच जाए तो अस्पताल में भर्ती होने और खून चढ़ाने तक की नौबत आ जाती है और उपचार न मिलने पर जान भी जा सकती है शरीर के सभी अंगों के ठीक से काम करने के लिए हिमोग्लोबिन बहुत ही जरूरी है लेकिन जब शरीर को प्रोटीन, विटामिन और खनिज पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते हैं तो हिमोग्लोबिन की कमी हो जाती है | हिमोग्लोबिन से जुड़ी जानकारी 

हीमोग्लोबिन कम होने के कारण

कुछ पोषक तत्वों जैसे आयरन, विटामिन B12 और फोलेट की कमी हीमोग्लोबिन का स्तर कम कर सकती है इसके अलावा गर्भावस्था, असामान्य मासिक धर्म या चोट लगने पर अत्यधिक रक्त स्त्राव, थैलेसीमिया, ल्यूकेमिया, किडनी और लीवर संबंधी रोग हाइपो थायराइड,डिहाईड्रेशन,अत्यधिक उल्टी, ज्यादा शारीरिक श्रम या जल जाने पर भी हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो सकता है यदि गर्भावस्था में हीमोग्लोबिन कम हो जाए तो गंभीर एनीमिया की स्थिति पैदा हो जाती है

जो समय से पहले डिलीवरी व बेहद कम वजन वाले शिशु के जन्म का कारण बन सकती है हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने पर कमजोरी,चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ, दिल की धड़कन तेज हो जाना, कानों में अजीब सी आवाज आना, सीने में दर्द, सिर दर्द, हाथ पैर ठंडे होना और रंग पीला पड़ना जैसे लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं हिमोग्लोबिन का औसत स्तर से अधिक होने पर रीड की हड्डी का विकार जैसी स्थिति बन जाती है

पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले हो ,ज्यादा धूम्रपान करने वालों , कुछ विशेष दवाओं के सेवन करने वालों में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से अधिक हो सकता है हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाने पर रक्त के थक्के जमने लगते हैं जो बाद में दिल के दौरे और फेफड़ों में वर्ल्ड क्लोटिंग का कारण बन सकते हैं इसके अलावा जोड़ों व हड्डियों में दर्द, सिर दर्द, थकान, पेट दर्द, खुजली, चोट लगने पर बहुत खून बहने जैसी समस्याएं दिखाई दे सकती है हिमोग्लोबिन से जुड़ी जानकारी

हिमोग्लोबिन से बचने के उपाय 

1.खजूर, स्ट्रॉबेरी, तरबूज, सेब ,अनार और आंवला शरीर में तेजी से खून बढ़ाते हैं खासकर सेब में अनार और आंवला मिलाकर खाना बेहतरीन पोषण देता है 

2.विटामिन सी के कारण शरीर हीमोग्लोबिन को सही ढंग से सोख पाता है इसलिए अपने आहार में संतरे, लीची, नींबू ,खुबानी और किशमिश आदि जरूर शामिल करें 

3.ब्रोकली, पालक, चौलाई में विटामिन ए और विटामिन सी के साथ मैग्नीशियम भी पाया जाता है 

4.चुकंदर, मटर, टमाटर, दही, मूंगफली, सूखे मेवे व डार्क चॉकलेट में आयरन प्रचुर मात्रा में होता है

5.गेहूं, ब्राउन राइस, राजमा ,चने और सोयाबीन भी शाकाहारीओं के लिए आयरन के अच्छे स्रोत हैं 

6.इसके अलावा अंडे ,मीट और चिकन में भी आयरन विटामिन B12 और फोलेट प्रचुर मात्रा में होता है 

7.गुड़ खाएं या गुड़ की चाय पिए 

8.बादाम वाला दूध पिएं

9.खानपान के साथ ही योग और व्यायाम भी हेमोग्लोबिन को बढ़ाने में मददगार होते हैं 

10.कद्दू के बीज और हरी पत्तेदार सब्जियां हिमोग्लोबिन को बढ़ाने में मददगार है

हिमोग्लोबिन से जुड़ी जानकारी