द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय, द्रौपदी मुर्मू का जन्म , द्रौपदी मुर्मू का विवाह , द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन 

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 

द्रोपति मुर्मू एक भारतीय महिला नेता है जो आदिवासी समुदाय से है सन 2015 से 2021 तक वे झारखंड राज्य की राज्यपाल थी वर्तमान में इन्हें 21 जुलाई 2022 को भारत के 15वे राष्ट्रपति के रूप में चुना गया है

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को भारत के उड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिले के  बैदापोसी गांव में एक संथाल आदिवासी परिवार में हुआ था द्रोपती के पिताजी का नाम ‘बिरंची नारायण टूडू’ था द्रौपदी मुर्मू के पिताजी और दादा जी दोनों ही उनके गांव के प्रधान रहे थे

द्रोपति मुर्मू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पास के एक विद्यालय में ग्रहण की थी स्नातक की पढ़ाई उन्होंने भुनेश्वर के रामा देवी महिला कॉलेज से की थी इसके बाद उड़ीसा गवर्नमेंट में बिजली डिपार्टमेंट में जूनियर असिस्टेंट के तौर पर इन्होंने नौकरी की थी

यह नौकरी इन्होंने 1979 से वर्ष 1983 तक की थी इसके बाद 1994 से 1997 तक द्रौपदी ने रायरंगपुर में मौजूद अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में अध्यापिका के तौर पर काम किया था | द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय |

द्रौपदी मुर्मू का विवाह 

द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू नामक व्यक्ति के साथ हुआ था इनके 3 बच्चे हुए दो बेटे और एक बेटी किंतु दुर्भाग्यवश उनके पति और दोनों बेटों की अलग-अलग कारणों से मृत्यु हो गई थी

द्रौपदी मुर्मू का जीवन साल 2009 से काफी दुखदायक रहा द्रोपति मुर्मू के एक बेटे की साल 2009 में असमय मौत हो गई थी, जिसका उनको काफी बड़ा सदमा लगा था लेकिन उन्होंने तब भी हार नहीं मानी और खुद को इस सदमे से बाहर निकालने के लिए वे ‘ब्रह्माकुमारी’ संस्था के साथ जुड़ गई थी

इसके बाद वर्ष 2013 में उन्होंने अपने दूसरे बेटे को एक सड़क हादसे में खो दिया उनके बेटे की मौत के कुछ दिन बाद ही उनके भाई और मां का भी स्वर्गवास हो गया था वह जीवन में आगे ही बढ़ रही थी कि साल 2014 में उन्होंने अपने पति को भी खो दिया उनके जीवन में काफी दुख था मगर उन्होंने कभी हार नहीं मानी बच्चों और पति का साथ छूटना द्रोपति मुर्मू के लिए कठिन दौर था

लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और समाज के लिए कुछ करने के लिए राजनीति में कदम रखा इनकी पुत्री का नाम ‘इतिश्री मुर्मू’ है. जो कि विवाह उपरांत भुवनेश्वर में रहती है इनकी बेटी वहां पर एक बैंक मैनेजर के रूप में कार्यरत है  द्रोपति मुर्मू पहले एक अध्यापिका थी बाद में भी धीरे-धीरे राजनीति में आ गई

द्रोपति मुर्मू ने सर्वप्रथम वर्ष 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में भाग लिया था और वह पार्षद के रूप में चुनी भी गई थी यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी द्रौपदी मुर्मू भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष भी रह चुकी है द्रोपति मुर्मू उड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से सन 2000 और 2009 में चुनाव जीत कर दो बार विधायक भी बनी थी

इसके बाद सन् 2000 और 2004 के बीच ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार के दौरान इन्हें वाणिज्य,परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया था द्रौपदी मुरमू मई 2015 में झारखंड राज्य की 9वी राज्यपाल बनी थी वे झारखंड राज्य की प्रथम महिला राज्यपाल थी और भारत के किसी भी राज्य के राज्यपाल के रूप में प्रथम आदिवासी महिला थी वह राज्य की पहली महिला गवर्नर बनी थी | द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय |

द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन 

द्रौपदी मुर्मू ने 24 जून 2022 में अपना नामांकन किया उनके नामांकन में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी प्रस्तावक और राजनाथ सिंह अनुमोदक बने थे 21 जुलाई 2022 के दिन द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनी है

साथ ही राष्ट्रपति के पद पर विराजमान होने वाली दूसरी महिला बन चुकी है इनसे पहले प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति के रूप में देश की प्रथम महिला थी द्रौपदी मुर्मू बड़े-बड़े पदों पर रह चुकी है लेकिन उनके अंदर किसी भी प्रकार का अहंकार नहीं है

एक समय जब वह शिव मंदिर गई थी तब मंदिर में अच्छी तरह से सफाई नहीं होने पर उन्होंने खुद ही मंदिर में झाड़ू लगाई और उसके बाद उन्होंने दर्शन किए द्रोपति मुर्मू को सन 2007 में उड़ीसा विधानसभा की ओर से सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार मिला था द्रौपदी मुर्मू देश की सबसे युवा राष्ट्रपति बनी जिनकी आयु 64 साल है

| द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय |