बिजासन माता मंदिर का इतिहास , बिजासन माता की उत्पत्ति , बिजासन माता का चमत्कार, बिजासन मंदिर की विशेषता 

बिजासन माता मंदिर का इतिहास 

बिजासन माता का मंदिर मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में स्थित है बिजासन माता को सौभाग्य और संतान दाहिनी माना जाता है इस मंदिर में दूर-दूर से नवविवाहित जोड़े दर्शन करने के लिए आते हैं साधारण मिट्टी पत्थर के चबूतरे पर निर्मित माता की खूबसूरत प्रतिमा के लिए पहचाना जाता है माता के नौ रूपों के लिए तत्कालीन होलकर शासकों ने यहां मराठा शैली में मंदिर का निर्माण करवाया था

बाद में इस मंदिर पर निरंतर कई विकास कार्य करवाए गए जिसके कारण आज यह मंदिर इतना रमणीय नजर आता है चैत्र और श्राद्ध नवरात्रि में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है माता के इस पवित्र मंदिर में एक मेले का आयोजन भी किया जाता है जिसमें देशभर से लाखों भक्त दर्शन और पूजन के लिए यहां पहुंचते हैं कहते हैं माता बिजासन की उपासना मात्र से ही ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के द्वार खुल जाते हैं और तमाम बुरी शक्तियां उनके नाम से भयभीत होकर दूर भागने लगती है

माता के दिव्य दरबार में सच्चे मन से जो भी मांगा जाता है वह अवश्य पूरा होता है जब हमने उनके इतिहास को खोजना शुरू किया तो पाया की इस दिव्य और प्राचीन मंदिर में माता की पावन प्रतिमा लगभग 1000 साल से भी अधिक पुरानी है किसी जमाने में यहां आस-पास का क्षेत्र काले हिरण का जंगल होता था और तंत्र मंत्र सिद्धि के लिए इस स्थान की खास पहचान मानी जाती थी

पूर्व में माता चबूतरे पर विराजमान थी उसके बाद इंदौर के तत्कालीन होलकर राजा महाराजा शिवाजी राव होलकर जी ने सन 1760 में माता बिजासन के मंदिर का निर्माण करवाया था ब्रिटिश काल में माता के मंदिर के निर्माण के 100 वर्ष पूर्ण होने पर एक उत्सव मनाया गया था जो सन 1860 में यहां बड़ी खुशी और हर्ष उल्लास के सुशोभित हुआ था | बिजासन माता मंदिर का इतिहास |

बिजासन माता की उत्पत्ति 

 जब एक समय धरती पर रक्तबीज नामक राक्षस का आतंक था देवता ,मनुष्य उसके अत्याचार से बहुत परेशान थे यह एक ऐसा राक्षस था जिसकी अगर रक्त की एक बूंद भी जमीन पर गिरती थी तो उसके समान एक और दैत्य उत्पन्न हो जाता था उसके अत्याचार से त्रस्त होकर जब देवता मां दुर्गा के पास पहुंचे तो मां दुर्गा ने उसका अंत करने के लिए महाकाली का रूप धारण कर लिया

रक्तबीज और महाकाली के बीच भयंकर युद्ध हुआ उस राक्षस के रक्त की बूंद जमीन पर ना गिरे इस के लिए मां काली ने अपनी जीभ का कई गुना विस्तार कर लिया अंत में माता ने रक्तबीज का सिर धड़ से अलग कर दिया और उसके शरीर से गिरने वाली रक्त की बूंदों को एक कटोरे में इकट्ठा करके उनका पान कर लिया माना जाता है कि उस राक्षस का वध करने के बाद भी जब मां काली का क्रोध शांत नहीं हुआ

तब स्वयं महादेव उनके चरणों के नीचे लेट गए थे यह युद्ध सलगन नामक पहाड़ी पर हुआ था इसके बाद सभी देवताओं ने सलगन नामक पहाड़ी पर महाकाली की प्रतिमा को स्थापित किया रक्तबीज पर विजय प्राप्त करने के कारण इस स्थान का नाम बिजासन पड़ा था सभी देवताओं ने माता को शंकरा और इस स्थान को शंकरा पीठ के नाम से संबोधित किया था  300 साल पहले कुछ बंजारे पशुओं को छोड़कर इस स्थान पर आराम करने के लिए ठहर गए थे

कुछ समय बाद उन्होंने देखा कि उनके सभी पशु कहीं गायब हो गए थे उन्होंने अपने पशुओं को बहुत ही ढूंढा परंतु उन्हें नहीं मिले अंत में एक वृद्ध बंजारे को एक कन्या दिखाई दी उस कन्या के पूछने पर उस बंजारे ने सारी घटना के बारे में बताया तब उस कन्या ने कहा क्या आपने मां बिजासन की पूजा अर्चना की है तब उस बंजारे ने कहा कि हमें नहीं पता कि मां बिजासन कहां पर विराजमान है तब उस कन्या ने अपने हाथ से इशारा करते हुए उस बंजारे को उस स्थान पर जाने के लिए कहा

उस बंजारे के वहां पर पहुंचने पर उसे वहां पर मां बिजासन की पाषाण प्रतिमा दिखाई दी जिनकी उन्होंने पूजा अर्चना की थी और अपने पशुओं के मिल जाने की मन्नत मांग ली कुछ समय बाद उन्हें अपने गायब हुए पशु वापस मिल गए थे यह देखकर वह सभी बंजारे बहुत ही खुश हुए और उन्होंने एक मंदिर का निर्माण करवाया था

इस प्रकार उस स्थान पर धीरे-धीरे और भी लोग आने लगे और उनकी मन्नत पूरी होने लगी जब प्रशासन को इस मंदिर के बारे में पता चला तब उन्होंने इस मंदिर का भव्य निर्माण करवाकर इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में घोषित कर दिया यह स्थान स्वामी भद्रानंद की तपस्या स्थल भी रहा है यहां पर उन्होंने कई वर्षों तक तपस्या की थी

सैकड़ों वर्षो से यहां पर माता की ज्योत प्रज्वलित होती है मां बिजासन की मूर्ति की दूसरी और मां सरस्वती की मूर्ति भी स्थापित है इस मंदिर में एक भैरव बाबा की मूर्ति स्थापित है | बिजासन माता मंदिर का इतिहास |

बिजासन माता का चमत्कार

किसी समय बुंदेलखंड के आल्हा ऊदल अपने पिता की हत्या का बदला लेने मांडू के राजा कंडागा राय से लेने यहां आए, तब उन्होंने बिजासन में मिट्टी पत्थर के ओटले पर सज्जित नौ देवियों को अनुष्ठान कर प्रसन्न किया और मां का आशीर्वाद प्राप्त किया तब से देवी को बिजासन माता के नाम से जाना जाता है

मंदिर के पिछले उतार पर नाहर कुदरा नामक जलाशय हैं कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहां शेर पानी पीने आता था और देवी मंदिर के नजदीक कुछ देर खड़े रहने के बाद बिना किसी को सताए लौट जाता था कहा जाता है कि आज भी एक शेर यहां पर हर रोज परिक्रमा करने के लिए आता है किसी समय होलकर रियासत के प्रधान मंत्री दुर्गा प्रसाद होलकर अचानक से किसी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं उनकी पत्नी ने पति के स्वास्थ्य के लिए बिजासन माता के दरबार में दंडवत करते आने की मन्नत की इसके बाद उनकी मन्नत पूर्ण भी हुई थी | बिजासन माता मंदिर का इतिहास |

बिजासन मंदिर की विशेषता 

बिजासन मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है इस मंदिर के परिसर में बहुत सारे देवी देवताओं के दर्शन करने के लिए मिलते हैं इस मंदिर के पास एक छोटा सा तालाब है जिसमें रंग बिरंगी मछलियां देखने के लिए मिल जाती है

इस मंदिर से चारों तरफ का सुंदर दृश्य देखने को मिलता है बिजासन मंदिर बरसात के समय बहुत ही अच्छा लगता है क्योंकि बरसात के समय यहां पर चारों तरफ हरियाली देखने को मिलती है यहां पर बरसात के समय मोर भी देखने को मिलते हैं यहां पर नवरात्रि के समय बहुत भीड़ रहती है बहुत सारे भगत माता के दर्शन करने के लिए आते हैं और यहां पर नवरात्रि में मेला लगता है

यह मंदिर इंदौर से करीब 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित है इस मंदिर में बिजासन माता का बहुत ही सुंदर श्रृंगार किया गया है यहां पर माता ने सिर पर मुकुट, नाक में नथनी माथे पर बिंदिया लगाई हुई है और बहुत ही सुंदर लगती है माता गहनों और वस्त्रों से सुसज्जित है और बहुत ही सुंदर लगती हैं यहां पर महाकाली और महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा जी की प्रतिमा भी देखने को मिलती है | बिजासन माता मंदिर का इतिहास |