भगवती चरण वोहरा का जीवन परिचय,भगवती चरण वोहरा का जन्म ,भारत सभा का गठन,भगवती चरण वोहरा का बलिदान ,भगवती चरण वोहरा की मृत्यु 

भगवती चरण वोहरा का जीवन परिचय 

 महान क्रांतिकारी भगत सिंह के सहयोगी भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा भी क्रांतिकारी आंदोलन से जुड़ी थी भगवती चरण वोहरा ने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह का पूरा पूरा साथ दिया था

भगवती चरण वोहरा का जन्म 

भगवती चरण का जन्म 15 नवंबर 1903 में लाहौर में हुआ था इनके पिता शिव चरण वोहरा ने लाहौर मे रेलवे सेवा प्रारंभ की थी उन्हें अंग्रेजों द्वारा “राय साहब” की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था उस समय टाइपराइटर नहीं था इसलिए भगवती चरण के दादाजी आगरा को जीवन निर्वाह के लिए लिखते थे

भगवती चरण वोहरा की शिक्षा दीक्षा लाहौर में हुई थी वे शिक्षा दीक्षा लेने की अवस्था में क्रांतिकारियों में सम्मिलित होकर देश की स्वतंत्रता के लिए कार्य करने लगे थे 1918 में 13 वर्ष की अल्पायु में इनका विवाह एक 10 वर्षीय कन्या के साथ संपन्न कर दिया गया था ऐसी कच्ची उम्र में विवाह के बंधन बांधे गए थे दुर्गा के पिता जी एक सन्यासी थे दुर्गा के पिताजी ने भगवती चरण वोहरा के साथ अपनी पुत्री का विवाह यह समझ कर किया कि उनकी पुत्री उनके साथ सुख से रहेगी पर, जब उन्हें इस बात की जानकारी मिली कि भगवतीचरण का साथ क्रांतिकारियों का है, तो वह बहुत ही दुखी हुए थे पर इस बात को लेकर दुर्गा बोहरा को बिल्कुल भी दुख नहीं हुआ था

क्योंकि दुख के जगह पर उन्हें इस बात का अभिमान था क्योंकि उनके हृदय में भी देश के प्रति प्रगाढ़ भक्ति थी जब इन्हें बेटा पैदा हुआ तो उसका नाम इन्होंने क्रांतिकारी सचिंद्र नाथ सान्याल के नाम पर रखा था वह स्कूल और कॉलेज विद्यार्थी के रूप में असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए थे इस आंदोलन में भगत सिंह और सुखदेव आदि भी शामिल थे लेकिन चोरी चोरा हिंसा के बाद गांधीजी ने एकतरफा तरीके से आंदोलन वापस ले लिया उससे युवाओं में निराशा का माहौल व्याप्त हो गया था इनकी पत्नी का नाम दुर्गा देवी था

विवाह के बाद भी दोनों पति-पत्नी शिक्षा ग्रहण करने में जागरूक रहते समय देश में ऐसे आंदोलन की आंधी चल रही थी भगवतीचरण ने अपनी इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी सचिंद्र नाथ सान्याल के लेखों से प्रभावित होकर वे नेशनल कॉलेज लाहौर में पढ़ने के दौरान ही क्रांतिकारी आंदोलन और राजनीति से जुड़ गए थे दुर्गावती ने अपने क्रांतिकारी पति का साथ दिया एक समय ऐसा भी था

जब उनका घर क्रांतिकारियों का अड्डा बन रहा था वह क्रांतिकारियों के बीच में “दुर्गा भाभी” के नाम से जानी जाती थी भगवतीचरण ने पढ़ाई छोड़ने के बाद देश के काम के अलावा और कोई काम नहीं किया भगवती चरण वोहरा ने दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश में क्रांतिकारि दल का संगठन बड़े उत्साह और बड़ी लगन के साथ किया था

भगवती चरण वोहरा चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह के दाएं हाथ थे भगवतीचरण अपने प्राणों की चिंता न करते हुए क्रांतिकारियों के लिए अपना घर खोल रखा था उनके अनुसार कोई भी क्रांतिकारी कभी भी किसी भी समय उनके घर में आ जा सकता है, रोटी खा सकता है और विश्राम कर सकता था क्रांतिकारियों की बैठक भी उन्हीं के घर में हुआ करती थी भगवती चरण वोहरा का जीवन परिचय

भारत सभा का गठन

1926 में भगत सिंह और सुखदेव के साथ मिलकर भगवतीचरण वोहरा ने नौजवान भारत सभा का गठन किया था नौजवान भारत सभा का कार्य लोगों में क्रांतिकारी विचारों का प्रसार करना था भारत सभा गठन के भगत सिंह महासचिव बने और भगवतीचरण प्रचार सचिव बने थे वह अपने साथियों में “भाई” के रूप में प्रसिद्ध थे  इस संगठन में राजनैतिक व्याख्यानो के अलावा सामाजिक भोज का आयोजन करता था जिसमें सभी धर्मों और जातियों के लोगों को एक साथ बैठाकर खिचड़ी जैसा सादा भोजन करने के लिए आमंत्रित किया जाता था

नौजवान भारत सभा ने जानबूझकर वंदे मातरम, सत श्री अकाल, अल्लाहू अकबर के नारों के बजाय इंकलाब जिंदाबाद, जय हिंद, हिंदुस्तान जिंदाबाद के व्यापक और धर्मनिरपेक्ष नारों का उपयोग करने का फैसला किया भगत सिंह हमेशा अपनी जेब में क्रांतिकारी करतार सिंह सराभा की एक छोटी सी तस्वीर रखते थे जिन्हें 1914 में गदर आंदोलन के दौरान फांसी दी गई थी नौजवान भारत सभा ने एक बार हिम्मत करके लाहौर के ब्रैडली हॉल में सराभा के लिए एक समृति कार्यक्रम का आयोजन किया

भगवतीचरण ने अपने पैसों का इस्तेमाल एक छोटी सी तस्वीर से बड़ी तस्वीर बनाने के लिए किया तस्वीर के ऊपर सफेद खादी का पर्दा लटका हुआ था उनकी पत्नी दुर्गावती और सुशीला दीदी नामक एक नौजवान भारत सभा कार्यकर्ता ने उनकी उंगली काट कर अपने खून के छींटे उस सफेद पर्दे पर बिखेर दिए और मरने तक स्वतंत्रता के लिए काम करने की शपथ ली थी ब्रिटिश प्रशासन ने 1928 में मेरठ षड्यंत्र मामले में भगवतीचरण की गिरफ्तारी और उनके घर की तलाशी का वारंट जारी किया,

जिससे बाध्य होकर उन्हें भूमिगत हो जाना पड़ा भगत सिंह और उनके साथियों को जड़ से निकालने में सक्रिय भूमिका अदा कर रहे भगवतीचरण ने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर उन्हें छुड़ाने की व्यापक योजना बनाई थी इस योजना को जल्द से जल्द अमल में लाने की कोशिश में उन लोगों ने रावी नदी किनारे घने जंगल में नए विकसित एवं का प्रयोग इस प्रशिक्षण करने की कोशिश की भगवती चरण वोहरा का जीवन परिचय

भगवती चरण वोहरा का बलिदान 

भगवतीचरण की दो बड़ी योजना विफल नहीं हो जाती तो हमारे स्वतंत्रता संघर्ष का इतिहास कुछ और होता इनमें से एक 23 दिसंबर 1929 को दिल्ली आगरा रेल लाइन पर वायसराय की स्पेशल ट्रेन उड़ाने की कार्रवाई थी जिसकी इन्होंने कई महीने भर जमकर तैयारी की थी इनर ट्रेन के नीचे बम का विस्फोट कराने में सफलता भी मिली थी

विस्फोट से ट्रेन का खाना बनाने व खाने वाला डिब्बा बुरी तरह से नष्ट हो गया और एक व्यक्ति की मौत हो गई थी लेकिन वायसराय बाल-बाल बच गया था इनकी दूसरी योजना यह थी कि लाहौर षड्यंत्र कांड में भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को सुनाई गई मृत्यु दंड की सजा पर अमल से पहले उन्हें छुड़ा लिए जाने की सारी संभावनाओं का अंत कर डाला इन्होंने योजना बनाई की तीनों को लाहौर जेल से न्यायालय ले जाते समय अचानक धावा बोलकर छुड़ा लिया जाए

इसके लिए उन्होंने बम बनाने का विचार किया इसके बाद इन्होंने बम भी बना लिए थे लेकिन कहीं बम समय से पहले फट ना जाए इसके लिए इन्होंने इसका परीक्षण करने का सोचा इस परीक्षण के लिए उन्होंने रावी तट चुना और विफल रह कर अपनी जान गवा बैठे भगवती चरण वोहरा का जीवन परिचय

भगवती चरण वोहरा की मृत्यु 

28 मई 1930 को परीक्षण के दौरान बम भगवतीचरण के हाथों में ही फट गया वह बुरी तरह से घायल हो गए और उनकी मृत्यु हो गई थी इसके बाद चंद्रशेखर आजाद ने दुर्गा वोहरा के पास जाकर इस दुखद घटना का समाचार सुनाया यह खबर सुनकर दुर्गा न तो रावी नदी के तट पर अपने मृत पति के शव के पास जा सकी और न अच्छी तरह रोक कर अपने हृदय के दुख को कम कर सकी

इसके बाद उनके मृत शरीर को रावी नदी में बहा दिया गया जब भगवती चरण वोहरा की मृत्यु हुई थी तब चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि आज उनका दाहिना हाथ कट गया है भगवती चरण वोहरा लखनऊ के काकोरी मामला, लाहौर षड्यंत्र केस, और फिर लाला लाजपत राय को मारने वाले अंग्रेजी सांडर्स की हत्या में भी आरोपी थे पर वह न तो कभी पकड़े गए और ना ही क्रांतिकारी कार्यों को करने से कभी अपना पैर पीछे खींचा

भगवती चरण वोहरा का जीवन परिचय