बाबा बालक नाथ का इतिहास , बाबा बालक नाथ की तपस्या , बाबा बालक नाथ का चढ़ावा , मां रत्नों से किया वादा, बाबा बालक नाथ का जन्म कब और कहां हुआ, बाबा बालक नाथ किसका अवतार है

बाबा बालक नाथ का इतिहास 

बालक नाथ एक सिद्ध बाबा थे जिनकी मान्यता हिमाचल प्रदेश, पंजाब और दिल्ली में सबसे अधिक थी बाबा बालक नाथ ने हर युग में जन्म लिया है बाबा बालक नाथ जी हिंदुओं के पूज्य देवता है और इनकी पूजा पूरे उत्तर भारत में की जाती है बाबा बालक नाथ जी के पूजा स्थान को दयोटसिद्ध भी कहा जाता है बाबा बालक नाथ को भगवान शिव का अंश अवतार माना जाता है

बाबा बालक नाथ सतयुग में सकंद, त्रेता युग में कोल तथा द्वापर युग में महाकौल के नाम से प्रसिद्ध हुए इन्होंने अपने हर जन्म में निर्धन और असहाय लोगों की सहायता की थी और प्रत्येक जन्म में बाबा बालक नाथ भगवान शिव के भगत कहलाए द्वापर युग में जब महाकौल भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत की ओर जा रहे थे तब उनकी भेंट एक वृद्धा स्त्री से हुई

जब उस बूढ़ी औरत को यह पता चला कि बालक नाथ भगवान शिव की तपस्या के लिए कैलाश पर्वत पर जा रहे हैं तब उन्होंने बाबा बालक नाथ को मानसरोवर पर तपस्या करने के लिए कहा उन्होंने बताया कि माता पार्वती प्रतिदिन मानसरोवर में स्नान के लिए आती है आप उनसे शिवजी तक जाने का उपाय पूछ सकते हो इसके बाद बाबा बालक नाथ ने उस बूढ़ी औरत की बात को स्वीकार किया और वहीं पर तपस्या करने के लिए बैठ गए और वह शिव जी के दर्शन करने में सफल रहे

उनकी भक्ति और तपस्या से खुश होकर भगवान शिव जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि कलयुग में तुम्हें सिद्ध पुरुष के रूप में पूजा जाएगा और चिरायु तक उन्हें बालक की छवि में रहने का वरदान भी दिया कलयुग में बाबा बालक नाथ ने गुजरात के काठियावाड़ में जन्म लिया और उनका नाम देव रखा गया बचपन से ही उनके आध्यात्मिक प्रवृत्ति को देखकर उनके माता-पिता ने उनका विवाह करने का निश्चय कर लिया

परंतु यह निर्णय बालक नाथ को नापसंद था इसलिए वह अपना घर छोड़कर अध्यात्म के मार्ग पर निकल पड़े उस समय उनकी आयु बहुत ही कम थी इस यात्रा में उनकी भेंट स्वामी दत्तात्रेय से हुई जिन से शिक्षा प्राप्त कर बाबा बालक नाथ ने सिद्धि प्राप्त की थी इसके बाद से ही उन्हें बाबा बालक नाथ कहे जाने लगा | बाबा बालक नाथ का इतिहास |

बाबा बालक नाथ की तपस्या 

बाबा बालक नाथ हिमाचल प्रदेश के शाहतलाई नामक स्थान पर गए थे वहां एक गरुण के पेड़ के नीचे बाबा तपस्या किया करते थे हिमाचल के बरसन में एक रत्नों नामक महिला ने बाबा जी को अपने पास गायों की देखभाल के लिए रख दिया था रत्नों का कोई पुत्र नहीं था इसलिए बाबा को रत्नों ने पुत्र के रूप में ही स्वीकार कर लिया था उन्हें हर दिन खाने के लिए रोटी और पीने के लिए लस्सी देती थी

बहुत बार बाबा तपस्या में लीन होने के कारण खाना-पीना भी भूल जाते थे एक बार रत्नों ने तंज कसते हुए कहा कि वह उसकी गायों का ठीक से ध्यान नहीं रखते जबकि रत्नों उनके खाने-पीने का पूरा ध्यान रखती है यह सुनकर बाबा जी ने उस गरुण के पेड़ के तने से रोटी और जमीन से लस्सी को उत्पन्न कर रत्नों को वापस कर दिया

सिद्ध बाबा की यह बात दूर-दूर तक फैल गई जब गुरु गोरखनाथ जी को बाबा बालक नाथ की शक्तियों के बारे में पता चला तो उन्होंने बाबा बालक नाथ को अपना शिक्षा बनाना चाहा परंतु बाबा बालक नाथ ने उनका शिष्य बनने से इंकार कर दिया और वह धोलगिरी पहाड़ी पर आकर तपस्या करने लगे 

बाबा बालक नाथ का चढ़ावा 

आज हिमाचल के हमीरपुर से लगभग 45 किलोमीटर दूर चकमोह नामक पहाड़ी पर बाबा बालक नाथ का सिद्ध पीठ है इस स्थल को दे बूट कहा जाता है क्योंकि यहां सदैव एक दीपक जलता रहता है मंदिर में एक प्राकृतिक गुफा है कहा जाता है कि यहां पर ही बाबा का निवास था मंदिर में बाबा जी की एक मूर्ति है यहां लोग बाबा जी को रोट अर्पित करते हैं

इसे आटे में घी और चीनी मिलाकर बनाया जाता है कहा जाता है बाबा जी ने पूरे जीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया इसलिए गुफा में महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं है गुफा के सामने एक ऊंचा चबूतरा है जहां से महिलाएं दूर से ही बाबा के दर्शन कर सकती है बाबा बालक नाथ को बकरा भी चढ़ाया जाता है

इसका अर्थ यह नहीं है कि बकरे की बलि दी जाती है बल्कि वहां पर बकरे का पालन पोषण किया जाता है मंदिर में बाबा जी का एक अखंड धूणा भी है जिसे बाबाजी का तेज स्थल कहा जाता है धूणा मंदिर के मुख्य गेट के पास ही है जो भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है और धूणा के पास एक पुराना चिमटा भी है जो कि बाबाजी का है | बाबा बालक नाथ का इतिहास |

मां रत्नों से किया वादा 

बाबा बालक नाथ ने शहतलाई में 12 साल तक मां रत्नों की गाय चराई थी इस स्थान को छोड़ते समय उन्होंने वादा किया था कि वह हर साल चैत्र माह में शाहतलाई आएंगे यही वजह है कि चैत्र माह में यहां मेले का आयोजन किया जाता है चैत्र  मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं

बाबा बालक नाथ का एक मंत्र है उसके जपने के कुछ उपाय हैं जैसे एक साफ-सुथरी जगह तलाश करें विशेष रूप से वट वृक्ष ढूंढे उसके नीचे शिवलिंग की स्थापना करें उसी स्थान पर बाबा बालक नाथ जी का चिमटा और खड़ाऊ स्थापित करें और घी की जोत जगाय और इस मंत्र की पांच माला रात्रि में करें ऐसा 43 दिन करें यह साधना किसी भी रविवार से शुरू की जा सकती है

हर रविवार को दो रोट लगाएं एक बाबा बालक नाथ जी के नाम से और एक गुरु गोरखनाथ जी के नाम से और साथ में दूध लेकर गुरु गोरखनाथ जी और बाबा बालक नाथ जी को भोग लगाएं भोग लगाने के बाद बच्चों को बांट दे साधना के बीच में ही आपको बाबा बालक नाथ जी का दर्शन हो जाएगा ईश्वर आपकी मनोकामना पूर्ण करें और आपको साधना में सफलता प्रदान करें | बाबा बालक नाथ का इतिहास |