बाबा अमर सिंह पवन का इतिहास ,बाबा अमर सिंह पवन का जन्म,बाबा अमर सिंह पवन के गुरु, बाबा अमर सिंह पवन की सेवा
बाबा अमर सिंह पवन का जन्म
बाबा अमर सिंह पवन भगवान शिव के बाल रूप में पूजे जाते हैं जिस प्रकार भगवान श्री कृष्ण का बाल रूप लड्डू गोपाल है उसी प्रकार भगवान शिव का बाल रूप बाबा अमर सिंह पवन है इनकी माता का नाम मिश्री देवी है जय बाबा अमर सिंह पवन किसी भगत के शिश पर सवार होते हैं तो यह अपनी माता मिश्री का जयकारा जरूर लगाते हैं जब बाबा अमर सिंह पवन का जन्म हुआ
तब इनके परिवार में खुशी का कोई भी ठिकाना नहीं रहा जब बाबा अमर सिंह पवन 5 वर्ष के हुए तब इनकी माता मिश्री इन्हें अपने साथ खेत में लेकर गई थी इनकी माता जी ने इन्हें किसी स्थान पर अकेला छोड़कर अपने कार्य में लग गई थी तभी वहां पर एक काला सर्प आता है और वह बाबा अमर सिंह पवन के माथे में अपना डंक मार कर उनके अंदर अपना जहर छोड़ देता है और बाबा अमर सिंह पवन बेहोश हो जाते हैं
कुछ समय बाद ही बाबा अमर सिंह पवन की जहर के कारण मृत्यु हो गई थी इनकी मृत्यु के बाद गांव वालों ने इन्हें जलाने के लिए कहा तब इनकी माता मिश्री ने इन्हें जलाने के लिए मना कर दिया और इन्हें जमुना में बहा दिया था जब बाबा अमर सिंह पवन बहता हुआ नदी के किनारे पर पहुंचा उस किनारे पर माता नथिया अपनी तपस्या कर रही थी और उन्होंने इन्हें देख कर बाहर निकाल लिया और इनका पालन पोषण किया माता नथिया माता हिंगलाज की बहुत बड़ी भगत थी और साथ ही वह बंगाल की बहुत बड़ी जादूगरनी थी
माता नथिया का संबंध कंजर समाज से है आज के समय में नथिया माता को एक बहुत बड़ी शक्ति के रूप में पूजा जाता है जब नथिया माई अमर सिंह पवन को लेकर अपने आराध्य देवी हिंगलाज के पास गई तब माता हिंगलाज ने प्रकट होकर अमर सिंह पवन का जहर निकाल कर उन्हें फिर से जीवित कर दिया था माना जाता है कि माता हिंगलाज ने ही इन्हें अमरता का वरदान प्रदान किया था इसी कारण से इनका नाम ‘अमर’ पड़ा था इसके बाद माता नथिया ने इनका बहुत ही लाड प्यार से पालन पोषण किया | बाबा अमर सिंह पवन का इतिहास
बाबा अमर सिंह पवन के गुरु
जब यह शिक्षा के योग्य हुए तब इन्हें गुरु गोरखनाथ के पास भेजा गया और माता नथिया ने इन्हें कहा कि जब तुम गुरु गोरखनाथ के पास जाओ तब हट करके बैठ जाना कि मुझे पांच वीर चाहिए जब यह गुरु गोरखनाथ के पास पहुंचे तब गुरु गोरखनाथ अपनी तपस्या में लीन थे और उन्होंने इन्हें कहा कि बच्चे हट मत कीजिए और मुझे अपनी तपस्या करने दीजिए तब अमर सिंह पवन रोने लग गए और ज़िद करने लगे कि मुझे 5 वीर ही चाहिए
इसके बाद गुरु गोरखनाथ ने इनकी जिद को देखकर इन्हें पांच वीर प्रदान किए और इनसे वचन लिया कि आप कभी भी जीवन में कोई गलत काम नहीं करोगे गुरु गोरखनाथ से शिक्षा ग्रहण करने के बाद माता नथिया ने इन्हें तंत्र मंत्र की शिक्षा भी प्रदान की थी इसके बाद अमर सिंह पवन भगवान शिव के पास कैलाश पर्वत पर पहुंचे और उन्हें तपस्या से उठाने का प्रयास करने लगे दिव्य शक्तियों के कारण इनकी मन की गति बहुत अधिक तेज हो गई थी
अपने मन की गति के कारण यह कहीं भी आ जा सकते थे जब भगवान शिव अपनी तपस्या से नहीं उठे तब इन्होंने भगवान शिव के केस को खींच लिया और भगवान शिव क्रोधित होकर इन पर वार करने ही वाले थे कि उन्होंने देखा कि यह एक छोटा सा नन्ना सा बालक है जब भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन थे तब बाबा अमरनाथ ने ओम शब्द का उच्चारण किया था
इनके इसी तपस्या को देख कर भगवान शिव ने इन्हें वरदान मांगने के लिए कहा इसके बाद भगवान शिव ने अमर सिंह पवन को 14 कलाओं का वरदान दिया था बाबा अमर सिंह पवन 14 कलाओं से सुशोभित है जब भी अमर सिंह पवन की पूजा होती है तो इनके साथ इनकी माता नथिया की भी पूजा होती है और यह पांचो बावरी इनके साथ हमेशा रहते हैं पांचो बावरी माता नथिया को अपनी बहन मानते थे जिस कारण से बाबा अमर सिंह पवन के वह मामा लगते थे
जब भी बाबा अमर सिंह पवन का भोग लगता है तो साथ ही पांचो बावरियों का भी भोग लगाया जाता है जब बाबा अमर सिंह पवन चलते हैं तो इनके साथ कई अद्भुत दिव्य शक्तियां भी चलती है माना जाता है कि जिस घर में बाबा अमर सिंह पवन की पूजा होती है उस घर में कभी भी नकारात्मक शक्ति प्रवेश नहीं करती आज के समय में जमुना जी के घाट पर इनका एक मंदिर स्थापित है जहां पर लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं इनका मुख्यत भोग जलेबी और दूध का है क्योंकि इन्हें जलेबी और दूध सर्वप्रिय है बाबा अमर सिंह पवन का इतिहास