अनारकली का इतिहास ,अकबर और अनारकली का संबंध,सलीम और अनारकली के बीच संबंध ,अनारकली का असली नाम क्या था,अनारकली को दीवार में चुनवाया
अनारकली का इतिहास
यदि अनारकली सलीम की पत्नी होती तो जहांगीर ने अपनी आत्मकथा तुजुक ए जहांगीरी में अनारकली का जिक्र क्यों नहीं किया उन्होंने अपनी जीवन शैली में कहीं पर भी अनारकली का विवरण नहीं दिया है इस कारण से हम कह सकते हैं कि यह एक काल्पनिक कथा है इसके साथ ही बादशाह अकबर के जीवनी लेखक ‘अबुल फजल’ द्वारा लिखी गई किताब “अकबरनामा” में भी उनका कोई जिक्र नहीं है
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अकबर ने अपनी शान को बनाए रखने के लिए अनारकली को जिंदा दीवार में चुनवा दिया था क्योंकि अनारकली एक वेश्या थी और सलीम एक शहजादा था जो कि आने वाले समय में राजा बनने वाला था
बादशाह अकबर नहीं चाहते थे कि उनका बेटा किसी वेश्या से शादी करें जिसके कारण मुगल सल्तनत पर एक धब्बा लगे और अकबर को भी आसपास के राजाओं के सामने शर्मसार होना पड़े वह हमेशा शान से और सिर उठा कर जीना चाहते थे
अनारकली मुगलकालीन इतिहास की एक ऐसी शख्सियत रही है जिसका ज़िक्र इतिहास में तो नहीं मिलता, साहित्य, विदेशियों के यात्रा विवरणों और दंतकथाओं में ज़रूर मिलता है। सम्राट अकबर के बेटे सलीम या ज़हांगीर की प्रेमिका के तौर पर जनमानस में बसी अनारकली का सचमुच कोई अस्तित्व था या वह एक काल्पनिक पात्र है, इसपर इतिहासकारों में मतभेद है।
अनारकली का ज़िक्र सबसे पहले लेखक अब्दुल हलीम शरर ने किया था। शरर ने मुगल काल पर बहुत सारी किताबें लिखी थीं। उनमें से एक कहानी अनारकली की भी थी जिसे उन्होंने काल्पनिक बताया था।
शरर के बाद 1922 में नाटककार इम्तियाज अली ताज ने अनारकली के किरदार पर एक मशहूर नाटक लिखा। इस नाटक में अनारकली को कमतर हैसियत की कनीज़ के रूप में चित्रित किया गया है जिसे शहज़ादे सलीम से प्रेम करने के जुर्म में अकबर ने जीते जी दीवार में चिनवा दिया था। इन्हीं किताबों के आधार पर ‘अनारकली’ और ‘मुगले आजम’ जैसी फ़िल्में बनीं। अनारकली का इतिहास
अकबर और अनारकली का संबंध
कई इतिहासकारों ने सलीम अनारकली के संबंधों पर रिसर्च किया तो उन्होंने पाया कि अनारकली का असली नाम नादिरा बेगम था नादिरा ईरान से लाहौर तक व्यापारियों की एक टोली के साथ आई थी ना थी रानी अनारकली इतनी खूबसूरत थी कि जो भी उन्हें देखता था दीवाना बन जाता था उनकी खूबसूरती की चर्चा पूरे लाहौर में थी
जब यह बात जलालुद्दीन अकबर को पता चली तो उन्होंने अपने दरबार में नादिरा को पेश होने का हुक्म दिया नादिरा बेगम भी एक कनीज थी जो राजा के हुकुम को टाल नहीं सकती थी इसलिए वह अकबर के दरबार में सफेद पोशाक पहनकर पेश हुई सफेद पोशाक में वह किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी उनके गुलाबी गाल को देखकर अकबर ने उन्हें “अनारकली” के नाम से नवाजा था
और तब से नादिरा बेगम बन गई अनारकली बादशाह अकबर को अपने पास नायाब चीजों को रखने में बहुत शौक था इसलिए उन्होंने नादिरा बेगम को अपनी बीवी बना लिया उनके एक बेटा था दानियाल शाह अकबर अपनी सभी पत्नियों में से अनारकली को सबसे ज्यादा चाहते थे अनारकली का इतिहास
सलीम और अनारकली के बीच संबंध
सलीम और अनारकली के बीच में मां बेटे का संबंध था लेकिन जब मुगल बादशाह अकबर ने अनारकली से विवाह किया तब सलीम देश से बाहर थे जब वह 14 सालों बाद महल आए तो उनके स्वागत के लिए मुजरा कराया गया उसी मुजरे में ईरान से आई अनारकली भी शामिल थी सलीम ने पहली नजर में अनारकली को देखा और उन्हें दिल दे बैठे अनारकली सलीम की तरफ आकर्षित हो गई थी
जब अनारकली और सलीम के बारे में अकबर को पता चला तो उन्होंने अनारकली को सलीम से दूर रहने की चेतावनी दी एक बार अकबर ने अपनी पत्नी नादिरा बेगम को पर्दे के पीछे से सलीम के साथ मुस्कुराता हुआ देख लिया था और उन्हें यकीन हो गया कि इस मामले में अनारकली भी दोषी है तो अकबर ने लाहौर के अपने महल की दीवार में नादिरा बेगम यानी अनारकली को जिंदा चुनवा देने का आदेश दे डाला था
और अनारकली को जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया था अकबर के निधन के बाद उनके बेटे जहांगीर ने राजगद्दी संभाली लेकिन वह अपने पहले प्यार को कभी नहीं भुला पाए इसलिए जिस महल में अनारकली को चुनवाया गया था उसे अनारकली का मकबरा घोषित कर दिया गया यह मकबरा आज पाकिस्तान के पंजाब सिविल सेक्रेटेरिएट के पास स्थित है जिसे अनारकली का मकबरा कहा जाता है कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अनारकली की 25 मई 1611 को सलीम के साथ शादी की गई थी और बाद में अनारकली को नूरजहां की उपाधि दी गई थी
अनारकली का इतिहास