सांस रोग दमा अस्थमा लक्षण उपचार सावधानियां

➽कारण एवं लक्षण

➔फेफड़े में वायु वहन करने वाली नालियों की छोटी-छोटी पेशियों में जब अकड़न भरा संकोच पैदा होता है तभी सांस लेने में तकलीफ होने लगती है इस रोग को इसी कारण अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे सांस रोग, दमा, तमक सांस और अंग्रेजी में अस्थमा  कहा जाता है यह रोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में अपने आप आता रहता है जो भी व्यक्ति सांस का रोगी होता है उसको यह रोग अपने माता-पिता या दादा-दादी से प्राप्त होता है इसके अलावा यह रोग धूल मिट्टी के वातावरण में कार्य करने से या धूल मिट्टी वातावरण में रहने से भी हो जाता है | सांस रोग (दमा, अस्थमा) लक्षण,उपचार, सावधानियां

 

➣बच्चों को यह रोग फेफड़े एवं सांस प्रणाली में कफ जमकर सूख जाने से होता है इसके अलावा यह बीमारी अक्सर खसरा, बुखार अथवा कुकुर खांसी होने के बाद होती है 

 

➔दमा की खांसी में तनाव के कारण सांस लेने में कष्ट होता है इस बीमारी में कभी तनाव ज्यादा और कभी तनाव कम होता है कई बार खांसते समय बलगम ज्यादा आता है कई बार खांसते समय बलगम कम आता है जिसको शुष्क दमा कहते हैं 

इस बीमारी में अधिकतर समय रोगी को बेचैनी रहती है ना तो सो सकता है ना ही बैठ सकता है यह जो रोग है अलग-अलग रोगियों को अलग-अलग ऋतु के हिसाब से सताता है यानी कि किसी को गर्मी के अंदर यह दिक्कत होती है किसी को सर्दी के अंदर यह दिक्कत होती है किसी को वर्षा ऋतु के अंदर यह दिक्कत होती है

 इस बीमारी के कारण मृत्यु होने का डर नहीं रहता बचपन से ही यह बीमारी है तो लगभग जवानी मैं यह बीमारी ठीक हो जाती है यदि यह बीमारी जवानी के अंदर आती है तो मृत्यु तक यह बीमारी रहती है

| सांस रोग (दमा, अस्थमा) लक्षण,उपचार, सावधानियां

सांस रोग के चिकित्सा/उपचार

➭ ईसबगोल की भूसी 3-4 महीने लगातार दिन में 2 बार सेवन करने से प्रत्येक प्रकार का सांस रोग दूर हो जाता है

➭जब सांस लेने की गति सामान्य  वेग से अधिक हो उसमें हींग और कपूर दो-दो रत्ती मिलाकर उनकी गोली बनाकर दो 2-2 घंटे के समय अंतराल में सेवन करने से सांस लेने की गति सामान्य हो जाती है

➭जावित्री को पान में रखकर खाने से सांस रोग की बीमारी ठीक हो जाती है

➭सरसों का तेल और गुड एक-एक तोला मिलाकर खाने से 40 दिन में सांस रोग खत्म हो जाता है

➭बलगम अधिक हो तो रोगी व्यक्ति को अदरक का रस और शहद 6-6 मासा मिलाकर पिलाने से आराम मिलता है

➭ यदि रोगी की सांस लेने की वेग बड़ी हुई है तो हल्के गर्म पानी में रोगी के दोनों पैर रखने से सांस तुरंत सामान्य हो जाता है

 

➽सांस वाले रोगी को कौन-कौन सी सावधानी रखनी चाहिए

➱ सांस रोग के रोगी का अधिक सोना, रात को भरपेट भोजन करना, अधिक धूप में चलना फिरना, शीतल व अम्लीय चीजों का खाना पीना, गुड, तेल, लाल मिर्च, भारी भोजन करना, अंडा, मांस, मछली, चना आदि रोगी को ना दें |  जब मौसम बदलता है उस समय रोगी को विशेष सावधानी रखनी जरूरी है रोगी को नहाने के बाद हवा में बाहर नहीं निकलना चाहिए यह बहुत ही घातक है| सांस वाले रोगी को धूल, मिट्टी, धुआं से दूर रहना चाहिए 

➱सांस के रोगी को खुराक में कुछ विशेष सावधानी बरतनी जरूरी है जैसे कि रात को भूख से कम भोजन करना जो भोजन आप कर रहे हैं वह सूरज छिपने से पहले करना |  कभी भी कब्ज नहीं होनी चाहिए पेट को हमेशा साफ रखें पेट को साफ रखने के लिए रात को स्वादिष्ट विरेचन या विरेचन गुटिका तथा प्रात काल अवितीपकर चूर्ण  या टिकिया सप्ताह में दो बार लेना चाहिए

विशेष नोट– सांस वाले रोगी को दूध अधिक से अधिक देना चाहिए|

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